नैनीताल, एक सितंबर (भाषा) उत्तराखंड सरकार ने सोमवार को उच्च न्यायालय को बताया कि प्रदेश में अब चिकित्सकों की कोई कमी नहीं है क्योंकि नियमित नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू हो गई है और अधिकांश रिक्त पद पहले ही भर दिए गए हैं।
राज्य सरकार ने कहा कि ऐसी स्थिति में चिकित्सकों की संविदा सेवा को आगे बढ़ाए जाने का कोई औचित्य नहीं है।
उत्तराखंड सरकार ने एमबीबीएस डॉक्टरों के सेवा करारों को आगे बढ़ाए जाने के संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत में यह दलील दी।
याचिकाकर्ता चिकित्सकों ने कहा कि उन्होंने उत्तराखंड के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में रियायती शुल्क पर एमबीबीएस की शिक्षा पूरी की थी जिसके बदले में उन्होंने तीन साल तक राज्य सरकार की सेवा करने के लिए एक बॉण्ड पर दस्तखत किए थे।
उन्होंने दलील दी कि उन्होंने बॉण्ड की अवधि पूरी कर ली है लेकिन अब वह राज्य में अपनी सेवा जारी रखने के लिए इच्छुक हैं और इस आधार पर उन्होंने इसकी अवधि बढ़ाए जाने की मांग की है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने सरकार को तीन साल की सेवा पहले ही पूरी कर चुके चिकित्सकों के सेवा करार न बढ़ाने के निर्देश दिए।
हांलांकि, उच्च न्यायालय ने अनुबंध के आधार पर अपनी सेवा जारी रखने की इच्छा रखने वाले याचिकाकर्ताओं को स्वास्थ्य महानिदेशक के सामने अपनी बात रखने की अनुमति दे दी। उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि इस पर तीन महीने के भीतर कानून के अनुसार निर्णय लिया जाए।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ के समक्ष हुई।
राज्य सरकार की तरफ से पेश स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने सूचित किया कि जब बॉण्ड भरवाने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी उस समय प्रदेश में चिकित्सकों की भारी कमी थी। इसलिए रियायती शुल्क पर एमबीबीएस कोर्स करने वाले छात्रों को आवश्यक सेवा बॉण्ड पर दस्तखत करना जरूरी था।
लेकिन, उन्होंने कहा कि अब नियमित नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू हो गयी है और ज्यादातर पद भर दिए गए हैं तो अब संविदा पर हुई नियुक्तियों को आगे बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है।
राज्य सरकार के तर्क को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि आपातकालीन स्थिति में डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ही बॉण्ड प्रणाली विकसित की गयी थी और अब जब नियमित डॉक्टरों की पर्याप्त संख्या उपलब्ध है तो सरकार को संविदा बढ़ाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
भाषा सं दीप्ति
शोभना सुभाष
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