scorecardresearch
Wednesday, 8 May, 2024
होमदेश'विक्रम और प्रज्ञान के फिर से जागने की पूरी संभावना', ISRO के पूर्व प्रमुख बोले- इंतजार करना होगा

‘विक्रम और प्रज्ञान के फिर से जागने की पूरी संभावना’, ISRO के पूर्व प्रमुख बोले- इंतजार करना होगा

नायर का मानना है कि अगर सौर ताप ने उपकरणों और चार्जर बैटरियों को भी गर्म कर दिया तो 'काफी संभावना' है कि सिस्टम फिर से चालू हो जाएगा.

Text Size:

नई दिल्ली: पूर्व अंतरिक्ष एजेंसी प्रमुख जी. माधवन नायर ने कहा है कि इस बात की काफी संभावना है कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर मॉड्यूल ठंडी चंद्र रात के बाद जाग जाएंगे.

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए वैज्ञानिक ने कहा कि विक्रम और प्रज्ञान को जगाने की प्रक्रिया “फ्रीजर से कुछ निकालने और फिर उसे इस्तेमाल करने की कोशिश करने” के समान थी.

उन्होंने बताया कि एक चंद्र रात के दौरान तापमान – पृथ्वी की 14 रातों के बराबर और 150 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है. “बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और तंत्र उस तापमान पर कैसे जीवित रहते हैं यह वास्तव में चिंता का विषय है.”

माधवन ने कहा कि यह स्थापित करने के लिए जमीन पर पर्याप्त परीक्षण किए गए हैं कि अंतरिक्ष यान ऐसी स्थिति के बाद काम करेगा या नहीं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, “हमें अब बस इसका इंतजार करना होगा.”

नायर का मानना है कि अगर सौर ताप ने उपकरणों और चार्जर बैटरियों को भी गर्म कर दिया तो ‘काफी संभावना’ है कि सिस्टम फिर से चालू हो जाएगा.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

नायर ने कहा, “एक बार यह चालू हो जाए, तो यह काफी संभव है कि हम अगले 14 दिनों में कुछ और दूरी तक घूम सकते हैं और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रमा की सतह पर अधिक डेटा एकत्र कर सकते हैं.”

शुरुआत में सौर ऊर्जा से संचालित विक्रम और प्रज्ञान के केवल पहले चंद्र दिवस या 14 पृथ्वी दिनों तक चलने की उम्मीद थी, लेकिन इसरो ने बाद में घोषणा की कि वह उपकरणों को लंबी रात तक जीवित रहने में मदद करने का प्रयास करेगा, ताकि दूसरे चंद्र पर वैज्ञानिक प्रयोग जारी रखा जा सके.

हालांकि इसने पहले ही मिशन को सफल घोषित कर दिया है, इसरो 21 और 22 सितंबर को दो मॉड्यूल के साथ संचार स्थापित करने का प्रयास करेगा.

भारत ने 23 अगस्त को शाम 6.04 बजे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी.

अगले 10 दिनों तक, पेलोड ने चंद्रमा पर सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि की. प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर स्वायत्त रूप से नेविगेट करने, अपने रास्ते में आने वाली बाधाओं का पता लगाने और उनसे बचने की क्षमता दिखाने में भी कामयाब रहा है.


यह भी पढ़ें: चंद्रयान-3 ने चांद की दो तिहाई दूरी तय की, लैंडिंग के बाद ऐसा करने वाला चौथा देश होगा भारत


share & View comments