नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में इस साल 15 जुलाई तक हर रोज बलात्कार के औसतन छह मामले और छेड़छाड़ के आठ मामले दर्ज किए गए. दिल्ली पुलिस के आंकड़ों से जो खुलासा हुआ है, उससे स्थिति की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है. आंकड़े बताते हैं कि इस साल 15 जुलाई तक दुष्कर्म के कुल 1,176 मामले दर्ज किए गए हैं.
ये आंकड़े किसी को भी विचलित कर सकते हैं. इससे पता चलता है कि राष्ट्रीय राजधानी में निर्भया कांड के सात साल बाद भी महिलाओं की सुरक्षा का हाल कितना चिंताजनक है. लोग समझ नहीं पा रहे कि केंद्र सरकार की दिल्ली पुलिस इतनी बेबस क्यों है. जिस शहर में केंद्रीय गृह मंत्रालय है, उसका हाल अपराध के मामले में इतना भयावह क्यों होता जा रहा है.
यहां सात साल पहले 23 साल की एक पैरा मेडिकल छात्रा संग चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था, जिसके 13 दिन बाद उसकी मौत हो गई थी. इस घटना ने देशव्यापी आक्रोश पैदा कर दिया था. आक्रोश को देखते हुए राजनीतिक और प्रशासनिक नेतृत्व द्वारा इसे गंभीरता से लिया गया था, सख्त कानून बनाने का संकल्प लिया गया था. एक नाबालिग को छोड़कर बाकी दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई.
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पीड़ित लड़की को ‘निर्भया’ के नाम से जाना जाता है. 16 दिसंबर 2012 की रात अपने एक पुरुष मित्र के साथ घर लौटते वक्त दक्षिणी दिल्ली के वसंत विहार इलाके में एक चलती हुई बस में छह लोगों ने मिलकर उस लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था. इस पर गुस्से और आक्रोश के मद्देनजर दुष्कर्म और छेड़खानी के खिलाफ कानून सख्त बनाए गए, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया.
जंगपुरा में रहने वाली और गुरुग्राम में काम करने वाली 30 वर्षीय इंजीनियर श्वेता मेहता का कहना है, ‘दफ्तर में काम पूरा करने के बाद घर लौटना महिलाओं के लिए एक डरावना सपना है. मैं देखती हूं कि पुलिस जगह-जगह तैनात नहीं रहती. सार्वजनिक परिवहन से घर लौटते वक्त ऐसी कई सारी राहें अंधेरी रहती हैं, जिनसे होकर मुझे हर रोज गुजरना पड़ता है. मैं अपने दोस्तों या परिवार के सदस्यों संग बात करती रहती हूं, ताकि अगर अचानक कुछ बुरा होता है तो उन्हें इसका पता चल सके.’
पुलिस के मुताबिक, दुष्कर्म की ज्यादातर घटनाओं में आरोपी पीड़ित के जानने-पहचानने वालों में से होते हैं.
पिछले साल, दिल्ली पुलिस ने कहा था कि दुष्कर्म के मामलों में 43 प्रतिशत आरोपी या तो दोस्त या पारिवारिक मित्र रहे हैं, 16.25 प्रतिशत पड़ोसी, 12.04 प्रतिशत रिश्तेदार, 2.89 प्रतिशत सहकर्मी और 22.86 प्रतिशत अन्य जान-पहचान वालों में से थे.
पुलिस के मुताबिक, केवल 2.5 प्रतिशत आरोपी ही पीड़ित के जानने वालों में से थे. पुलिस ने आगे कहा कि यह पिछले सालों से कम है. साल 2016 व 2017 में दुष्कर्म के मामलों में क्रमश: 3.36 और 3.37 अजनबियों की गिरफ्तारी हुई.
इस साल 15 जुलाई तक 1,589 मामलों की तुलना में पिछले साल छेड़खानी के 1780 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2017 के पूरे साल भर में 3,422 मामले दर्ज हुए थे.
इस बारे में एक पुलिस अधिकारी का कहना है, ‘निर्भया घटना के बाद अधिक से अधिक महिलाएं आगे आ रही हैं और शिकायत दर्ज करा रही हैं. रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए हमने महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा किया है.’
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पुलिस ने दिल्ली सरकार से अंतिम मील कनेक्टिविटी में सुधार करने का अनुरोध किया है और समाज कल्याण विभाग को झुग्गी-झोपड़ियों में शिक्षा और जागरूकता के लिए कार्यक्रम को शुरू करने और महिलाओं के खिलाफ हो रही आपराधिक घटनाओं को दर्ज कराने के लिए कहा है.
दिल्ली पुलिस ने शहर की सरकार से अंधेरी सड़कों पर लाइटें लगाने और स्कूल के पाठ्यक्रम के एक हिस्से के रूप में आत्मसुरक्षा को शामिल करने का आग्रह किया है.
चूंकि राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा अभी भी चिंता की विषय-वस्तु बनी हुई है, पुलिस ने ‘हिम्मत प्लस’ के लोकप्रियकरण पर जोर दिया है, जिससे ‘सशक्ति’ के एक हिस्से के रूप में लैंगिक संवेदनशीलता और मानसिकता में सुधार लाया जा सके.