प्रयागराज, दो जुलाई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक शिशु गृह स्थापित करने के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने कहा कि प्रस्तावित शिशुगृह इस उच्च न्यायालय के मुख्य भवन के भीतर स्थित होना चाहिए।
हालांकि, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से बताया गया कि यह शिशुगृह प्रस्तावित मध्यस्थता भवन में खोले जाने का प्रस्ताव है।
बुधवार को अधिवक्ता जाह्नवी सिंह द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी गई। जाह्नवी सिंह ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कर्मचारियों और महिला अधिवक्ताओं के लाभ के लिए एक शिशुगृह सुविधा स्थापित करने का अनुरोध किया है।
अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 25 जुलाई तय करते हुए उच्च न्यायालय प्रशासन के वकील और रजिस्ट्रार को इस मामले में ठोस और अंतिम जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
अधिवक्ता जाह्नवी सिंह ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर दलील दी कि दिल्ली उच्च न्यायालय और अन्य उच्च न्यायालयों में शानदार शिशुगृह परिचालन में हैं और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भी इसी तरह का स्तर बनाए रखा जाना चाहिए।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के परिसर में शिशुगृह की गैर उपलब्धता, इस उच्च न्यायालय में कार्यरत महिला कर्मचारियों और महिला अधिवक्ताओं को बाल सुविधाओं से इनकार है।
उन्होंने दलील दी कि पितृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 11 ऐसे प्रतिष्ठानों के लिए शिशुगृह की सुविधा उपलब्ध कराना अनिवार्य करती है, जहां 50 या इससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
भाषा राजेंद्र
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