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शुक्रवार, 2 मई, 2025
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देश में हैं 100 पीएमएलए अदालतें, फिर भी होती हैं धनशोधन मामलों की सुनवाई में देरी: ईडी

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नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि देश भर में 100 विशेष पीएमएलए अदालतें होने के बावजूद धनशोधन मामलों की सुनवाई समय पर पूरी होने में कई ‘व्यवस्थागत’ और ‘प्रक्रियात्मक’ बाधाएं आ रही हैं।

यह संघीय जांच एजेंसी विपक्षी राजनीतिक दलों के निशाने पर रही है। विपक्षी दलों का आरोप रहा है कि इसकी कार्यवाही पक्षपातपूर्ण है तथा दोषसिद्धि दर ‘खराब’ है। हालांकि, इस दावे का ईडी ने दृढ़तापूर्वक खंडन किया है।

ईडी निदेशक राहुल नवीन ने बृहस्पतिवार को ‘ईडी दिवस’ के अवसर पर यहां एक कार्यक्रम में अपनी एजेंसी के ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ का बचाव करते हुए कहा कि इसकी दोषसिद्धि दर 93 प्रतिशत से अधिक है।

इसी दिन, ईडी ने अपनी पहली वार्षिक रिपोर्ट भी जारी की, जिसमें उसने ‘पीएमएलए (धनशोधन रोकथाम अधिनियम) सुनवाई को शीघ्र पूरा करने में आने वाली चुनौतियों’ पर एक विशिष्ट अध्याय समर्पित किया है।

अब तक एजेंसी के वार्षिक कार्य का अनुमान केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ‘वार्षिक रिपोर्ट’ में शामिल किया जाता था। ईडी इस मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

वित्त वर्ष 2024-25 की रिपोर्ट में कहा गया है,‘‘ पीएमएलए (धनशोधन रोकथाम अधिनियम) के तहत कानूनी ढांचा अभियोजन के लिए एक संगठित तंत्र प्रदान करता है, लेकिन समय पर परीक्षण पूरा होने में कई प्रणालीगत और प्रक्रियात्मक बाधाओं का सामना करना पड़ता है।’’

इसमें कहा गया है कि एक ‘प्राथमिक चुनौती’ यह है कि धनशोधन मामलों का अभियोजन ‘आंतरिक रूप से’ संबंधित अपराध की जांच या परीक्षण की प्रगति से जुड़ा हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इन कार्यवाही में देरी से पीएमएलए मुकदमे पर असर पड़ता है।’’

धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के अनुसार, ईडी स्वतंत्र मामला दर्ज नहीं कर सकता है, बल्कि उसे पुलिस या किसी अन्य जांच एजेंसी की प्राथमिक प्राथमिकी के आधार पर अपनी शिकायत दर्ज करनी होती है, जिसे पूर्ववर्ती अपराध कहा जाता है।

यह अधिनियम 2005 में प्रभाव में आया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश भर में 100 विशेष पीएमएलए अदालतों की स्थापना के बावजूद, न्यायिक संसाधन सीमित बने हुए हैं, क्योंकि इनमें से कई अदालतें अन्य क़ानूनों के तहत मामलों के बोझ से दबी हुई हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है,‘‘अक्सर अंतरिम आवेदन, रिट याचिका और जमानत के मामले दायर होने से मुकदमे बाधित होते हैं – जिनमें से कुछ उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय तक पहुंचते हैं, फलस्वरूप अधिनियम के तहत मुकदमों की निरंतरता और शीघ्र निपटान प्रभावित होता है।’’

ईडी प्रमुख ने निदेशालय के अभियोजन रिकॉर्ड का बचाव करते हुए कहा, ‘‘अब तक 47 मामलों में फैसला हुआ है और उनमें से केवल तीन मामलों में ही आरोपी बरी हुए हैं, इस प्रकार दोषसिद्धि दर 93.6 प्रतिशत है।’’

उन्होंने स्वीकार किया कि कई पीएमएलए जांच ‘बहुत लंबे समय’ से चल रही हैं और इस वर्ष ईडी जिन क्षेत्रों पर ध्यान दे रही है उनमें से एक, जांच को पूरा करने और विशेष अदालतों के समक्ष अंतिम अभियोजन शिकायत और आपराधिक संपत्ति की जब्ती के लिए अनुरोध दायर करने के प्रयास करना होगा।

भाषा राजकुमार अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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