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Friday, 22 November, 2024
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Covid 19 के दौरान बेहतरीन रिपोर्टिंग के लिए दिप्रिंट के दो पत्रकारों को मिला रामनाथ गोयनका अवार्ड

कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान बेहतरीन रिपोर्टिंग के लिए दिप्रिंट की दो युवा पत्रकार ज्योति यादव और बिस्मी तसकीन को प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवार्ड से सम्मानित किया गया. दोनों युवा पत्रकारों को हिंदी कैटेगरी में यह अवार्ड मिला है.

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नई दिल्ली: कोरोना महामारी के पहले चरण के दौरान बेहतर रिपोर्टिंग के लिए दिप्रिंट के दो युवा पत्रकारों को प्रतिष्ठित ‘रामनाथ गोयनका अवार्ड-2019’ से सम्मानित किया गया. दिप्रिंट की ज्योति यादव और बिस्मी तसकीन को इस अवार्ड से सम्मानित किया गया. रामनाथ गोयनका अवार्ड के 16 वें संस्करण में 24 न्यूजरूम के 37 शक्तिशाली और प्रभावी रिपोर्टिंग को अवार्ड दिया गया.

दिप्रिंट की दोनों युवा पत्रकार- ज्योति यादव और बिस्मी तसकीन को कोरोना महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों के पलायन और महामारी के दौरान लोगों को होने वाली समस्या, प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करने, के उत्कृष्ट कवरेज के लिए इस प्रतिष्ठित अवार्ड से सम्मानित किया गया. दोनों युवा पत्रकारों को हिंदी कैटेगरी में यह अवार्ड मिला है.

रामनाथ गोयनका पुरस्कारों के 16 वें संस्करण समारोह का आयोजन 22 मार्च, 2023 को दिल्ली के होटल आईटीसी मौर्या मे हुआ था.

भारत के मुख्य न्यायाधीश, डी वाई चंद्रचूड़ ने समारोह की अध्यक्षता की और वह मुख्य अतिथि भी थे. यह पुरस्कार, 2005 में श्री रामनाथ गोयनका के शताब्दी समारोह के एक भाग के रूप में शुरू किया गया था. इस पुरस्कार में प्रिंट, डिजिटल और ब्रॉडकास्ट मीडिया के उन पत्रकारों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने जोखिम भरी या कठिन परिस्थितियों में ब्रेकिंग न्यूज को कवर करते हुए साहस और ईमानदारी से अपने काम को किया हो.

कोरोना महामारी के दौरान चुनौतीपूर्ण रिपोर्टिंग

कोरोना महामारी और अचानक लगाए गए लॉकडाउन के कारण देश के कई हिस्सों में प्रवासी मजदूरों का पलायन शुरू हो गया. प्रवासी मजदूर हजारों किलोमीटर दूर अपने घर पैदल चल दिए. साथ ही अचानक से सबकुछ बंद हो जाने के कारण देश के मध्यम और गरीब वर्ग के लिए कई तरह की समस्या उत्पन्न हो गई. इस दौरान ज्योति और बिस्मी ने जमीन पर उतरकर कई स्टोरी रिपोर्ट की. इन्होंने लोगों की समस्या को रिपोर्ट किया और उसे सबके सामने लाया.

ज्योति यादव ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘उस वक्त स्थिति काफी भयावह थी. सबकुछ बंद था. इस दौरान हमने पूरे उत्तरप्रदेश, बिहार से लेकर नेपाल की सीमा तक गए और लोगों को हो रही समस्याओं को रिपोर्ट किया.’

वहीं बिस्मी तसकीन ने कहा कि ‘उस दौरान रिपोर्टिंग करना बहुत ही चुनौती का काम था. हमने लगभग डेढ़ महीने सड़क पर घूमते हुए बिताए. महिलाओं के लिए यह और भी चुनौतीपूर्ण काम था.’

ज्योति यादव ने कहा कि उस समय हमारे लिए दोहरी चुनौती थी. एक तो हमें लोगों की समस्याओं को रिपोर्ट करना था और उसे सबके सामने लाना था. जबकि दूसरी ओर चारों ओर गलत सूचनाएं भी फैल रही थी जिसे रोकना भी था.

ज्योति यादव व बिस्मी तसकीन की स्टोरी प्रवासी मजदूर, ग्रामीण भारत और मनरेगा मजदूर आदि से जुड़ी थी.

दिप्रिंट की ज्योति यादव और बिस्मी तसकीन | फोटो: ऋषभ राज | दिप्रिंट

दिप्रिंट से बात करते हुए बिस्मी तस्कीन ने कहा कि यह भले चुनौतीपूर्ण था लेकिन यह यह एक जबरदस्त एहसास था. उसने कहा कि इस दौरान वह ग्राउंड रिपोर्टिंग की चुनौतियों को सीखने के लिए शुक्रगुजार हैं. ज्योति यादव के लिए, यह पुरस्कार उन्हें ‘सत्ता को जिम्मेदार’ महसूस कराने के प्रति मजबूती देता है, चाहे कुछ भी हो जाए.

दोनों ने याद किया कि कैसे उन्होंने अपनी रिपोर्टिंग के दौरान जीवन और मृत्यु, दोनों को एक साथ देखा था- एक बच्चे के पैदा होने से लेकर एक आदमी के मरने तक.

पुरस्कार समारोह के दौरान अपने स्वागत भाषण में इंडियन एक्सप्रेस समूह के प्रेसिडेंट विवेक गोयनका ने उल्लेख किया कि कैसे महामारी के दौरान तीन साल की अनिश्चितता के बीच देश के पत्रकारों द्वारा ‘उत्कृष्ट पत्रकारिता’ की गई. उन्होंने कहा कि इस साल का समारोह विशेष है क्योंकि महामारी खत्म होने के बाद पहली बार सबकुछ सामान्य तरीके से हो रहा है.

उन्होंने आगे कहा, ‘महामारी को टीकों से हराया गया था, जबकि ‘इन्फोडेमिक’ को पत्रकारों ने हराया था.’

समारोह के मुख्य अतिथि, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने अपने भाषण में कहा कि ‘यह पुरस्कार आशावाद की शाश्वत भावना का प्रतीक हैं.’

उन्होंने दिप्रिंट के एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता का हवाला देते हुए याद दिलाया कि ‘पत्रकार का काम केवल अव्यवस्था को कम करना है’

उन्होंने कहा, ‘असहमति को घृणा में नहीं बदलना चाहिए और घृणा को हिंसा में तब्दील नहीं होने देना चाहिए.’

यह देखते हुए कि कैसे सोशल मीडिया एक गेमचेंजर रहा है, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि न्यूज़रूम को ‘अभिजात्य, बहिष्करण या प्रकृति में चयनात्मक’ नहीं होना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘जिम्मेदार पत्रकारिता सच्चाई की किरण है जो हमें एक बेहतर कल की ओर ले जाती है.’

रामनाथ गोयनका अवार्ड-2019 के लिए चयन करने वाली जूरी में सेवानिवृत जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण, प्रो सी राजकुमार, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो के जी सुरेश शामिल थे.

बता दें कि हाल ही में, दिप्रिंट को कोविड के दौरान साहसी कवरेज के लिए प्रतिष्ठित आईपीआई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था.


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