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शनिवार, 26 अप्रैल, 2025
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दुनिया को ज्यादा प्रतिभाशाली वकीलों की नहीं, बल्कि नैतिक वकीलों की जरूरत : न्यायमूर्ति अरविंद

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गांधीनगर, 26 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार ने शनिवार को यहां कहा कि दुनिया को ज्यादा प्रतिभाशाली वकीलों की नहीं, बल्कि अधिक नैतिक वकीलों की जरूरत है।

गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (जीएनएलयू) के 15वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति कुमार ने कहा कि विधि स्नातकों को अपने करियर का मापदंड इस बात को नहीं बनाना चाहिए कि उन्होंने कितने मामले जीते हैं, बल्कि यह होना चाहिए कि उन्होंने कितने लोगों के जीवन को प्रभावित किया है।

न्यायमूर्ति कुमार ने अपने भाषण में कहा, ‘‘चरित्र चतुराई से बड़ा होता है। विधि का पेशा काफी प्रतिबद्धता चाहता है, लेकिन यह निरंतर कठोर सबक भी सिखाता है। आपकी परीक्षा मूट कोर्ट (शिक्षा के दौरान प्रशिक्षण के लिए बनाये गये छद्म अदालत कक्ष) में नहीं, बल्कि वास्तविक अदालत में होगी, केस ब्रीफ (मामले के बारे में जानकारी देने) पर नहीं, बल्कि नैतिक दुविधाओं पर होगी। नैतिकता से समझौता करने, सुविधा के लिए नैतिकता से समझौता करने का प्रलोभन रेशमी लबादे में आ सकता है, लेकिन याद रखें, ईमानदारी से समझौता नहीं किया जा सकता।’’

उन्होंने स्नातकों को ‘‘न्याय के भावी रक्षक, संविधान के संरक्षक और सत्य का योद्धा’’ बताते हुए कहा, ‘‘दुनिया को ज्यादा प्रतिभाशाली वकीलों की नहीं, बल्कि अधिक नैतिक वकीलों की आवश्यकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वकील के रूप में, आपका कर्तव्य न्याय की सेवा करना है, हमेशा लाभ के लिए नहीं, बल्कि साहस के साथ सत्य की सेवा करना है…आपकी खामियां, आपकी कमियां, आपकी कमजोरियां आपको इंसान बनाती हैं। उन खामियों से परेशान न हों। वे आपको सहानुभूति, करुणा और विकास के योग्य भी बनाती हैं। उनसे कभी शर्मिंदा न हों, वे भी आपके व्यक्तित्व को खूबसूरत बना सकती हैं।’’

उन्होंने विधि स्नातकों से ऐसे वकील बनने को कहा, जिन पर देश को गर्व हो और उनके माता-पिता उन्हें हर दिन आशीर्वाद दें।

उन्होंने कहा, ‘‘अपनी डिग्री को अंतिम लक्ष्य न समझें। आप हर किसी से कुछ न कुछ सीख सकते हैं–कभी क्या करना है और कभी क्या नहीं करना है। आपके कानूनी कौशल की असली परीक्षा यह नहीं है कि आप प्रति पेशी कितना शुल्क लेते हैं, बल्कि यह है कि आप कितने लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं।’’

न्यायमूर्ति कुमार ने विधि स्नातकों को अपने साथियों और यहां तक कि विरोधी वकील से भी सीखने की सलाह दी।

जीएनएलयू की विजिटर और उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी ने भी विधि स्नातक छात्रों को संबोधित करते हुए नैतिकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि पेशे में उत्कृष्टता तभी प्राप्त की जा सकती है, जब आप अपने जीवन में सद्गुणों और नैतिकता को अपनाएं। कल आप जिस कानूनी दुनिया में प्रवेश करेंगे, वह आपके मूल्यों की परीक्षा लेगी। यह एक ऐसी दुनिया है, जहां शॉर्टकट बहुत फायदेमंद लग सकते हैं और दबाव आपके दृढ़ विश्वास को चुनौती दे सकता है, लेकिन कृपया याद रखें कि आपके चरित्र के निर्माण में आपकी ईमानदारी सबसे महत्वपूर्ण है।’’

न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने जोर देकर कहा कि प्रलोभनों और चुनौतियों के बावजूद मूल मूल्यों पर कायम रहने से आंतरिक शक्ति बढ़ती है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह सही कहा गया है कि नैतिकता के बिना ज्ञान खतरनाक है और सिद्धांतों के बिना कौशल खोखला है। आप जो भी रास्ता चुनें, वह सत्य और नैतिकता के सिद्धांतों से निर्देशित होना चाहिए।’’

भाषा दिलीप माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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