नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच मानहानि का खेल फ़िर ज़ोर पकड़ रहा है. ताज़ा मामले में आप की ओर से एक गाना ट्वीट किए जाने के बाद दिल्ली भाजपा ने रविवार को चुनाव आयोग से शिकायत की और पार्टी को एक मानहानि नोटिस भेजकर 500 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा है.
जिस गाने को लेकर आप को 500 करोड़ का नोटिस भेजा गया है उसमें दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी आप के कैंपेन सॉन्ग ‘लगे रहो केजरीवाल’ की धुन पर नाचते दिख रहे हैं. दरअसल, आप के कैंपेन सॉन्ग पर मनोज तिवारी की भोजपुरी फिल्मों की फुटेज लगाई गई हैं.
आपको बता दें कि दिल्ली की राजनीति में मानहानि के मामलों को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने का खेल बहुत पुराना है. इसके पहले दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने मनोज तिवारी और दिल्ली भाजपा के अन्य नेताओं के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज़ कराया था.
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दरअसल, तिवारी और अन्य भाजपा नेताओं ने दिल्ली के स्कूलों में कमरे बनाए जाने के मामले में सिसोदिया पर कथित भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. सिसोदिया ने आपराधिक मानहानि का मामला इन्हीं आरोपों के ख़िलाफ़ दर्ज़ कराया था.
इंडिया टुडे की 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस समय तक अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ मानहानि के आठ मामले दर्ज थे. इसमें से पहला मामला दिल्ली की तब की सीएम शीला दीक्षित के राजनीतिक सचिव पवन खेड़ा द्वारा दर्ज कराया गया था.
अन्य मामलों में कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल, पार्टी द्वारा 2013 में कथित तौर पर प्रत्याशी घोषित किए गए वकील सुरेंद्र शर्मा, भाजपा नेता नितिन गडकरी, भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी और पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान द्वारा दर्ज कराए गए थे. इनके अलावा केजरीवाल के ख़िलाफ़ मानहानि के तीन मामले अकेले दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेटली ने दर्ज कराए थे.
सिब्बल के बेटे ने केजरीवाल द्वारा उनके ऊपर वोडाफोन टैक्स मामले में हितों के टकराव से जुड़े आरोप लगाने के ख़िलाफ़ केस दर्ज कराया था. दरअसल, केजरीवाल का आरोप था कि एक तरफ़ अमित वोडाफोन के टैक्स का मामला सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहे हैं और दूसरी तरफ़ उनके पिता के पास इससे जुड़ा मंत्रालय है.
वहीं, वकील शर्मा ने आरोप लगाया था कि पार्टी पहले उन्हें टिकट देने पर तैयार हुई और बाद में कदम पीछे खींच लिए जिससे उनकी बदनामी हुई. गडकरी और बिधूड़ी ने केजरीवाल के ख़िलाफ़ उन्हें भ्रष्ट बताने और आधारहीन आरोप लगाने के बाद मानहानि के मामले दर्ज कराए थे. चौहान ने भी निंदनीय आरोप लगाने के मामले में केजरीवाल पर मामला दर्ज कराया था.
जेटली ने केजरीवाल पर डीडीसीए से लेकर अन्य मामलों में लगाए गए आरोपों के ख़िलाफ़ आपराधिक और सिविल मानहानि के मामले दर्ज कराए थे. नितिन गडकरी द्वारा दर्ज कराए गए मामले में जब अरविंद केजरीवाल ने बेल लेने से मना कर दिया तब 2014 की मई में उन्हें तिहाड़ जेल जाना पड़ा था.
चुनावी गहमागहमी में वोटरों को लुभाने के लिए आरोपों की झड़ी लगा दी जाती है. ऐसा लगता है कि प्रचार के कम समय में सबसे ज़्यादा असर हासिल करने के लिए आरोप लगा दिए जाते हैं. सभी नेता जानते हैं कि वे बाद में कानूनी लड़ाई लड़कर या माफी मांग कर मामले को रफा दफा कर सकते हैं.
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आप के लीगल सेल के मोहम्मद इर्शाद ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि ताज़ा कथित मानहानि के मामले में पार्टी के पास कोई नोटिस नहीं आया है जिसकी वजह से ये कानूनी तौर पर खरा नहीं उतरता. उनकी तरफ से चुनाव आयोग से इस मामले में शिकायत ज़रूर की गई है.
वहीं, उन्होंने ये जनकारी भी दी कि पार्टी और इसके नेताओं ख़िलाफ़ मानहानि के 22 मामले को निपटा दिया गया है और सात मामलों का निपटारा बाकी है. उन्होंने ये भी कहा कि मानहानि के कानून का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के तौर पर होता आया है.