नई दिल्ली: कोरोनावायरस के प्रकोप के बीच दो महिला डॉक्टरों के ट्वीट पूरे सोशल मीडिया पर फैलते रहे. एक तरफ लोग इनकी बातें पढ़कर सरकार से नाराज हुए तो दूसरी तरफ कुछ लोग इनके ट्वीट को फेक बताने लगे. गौरतलब है कि दो दिन पहले ही पीएम मोदी ने डॉक्टरों और नर्सों के लिए लोगों से तालियां और थालियां बजवाईं. लेकिन सोशल मीडिया पर देशभर के डॉक्टरों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के चलते हंगामा मच गया है. जोशीले नारों के बीच सोशल मीडिया पर दोनों महिला डॉक्टरों ने मास्क और सुरक्षा उपकरणों की कमी को लेकर अपनी शिकायतें लिखी.
हरियाणा के पीजीआई रोहतक में एनीस्थीसिया विभाग में कार्यरत डॉक्टर कामना कक्कड़ ने सोमवार को ही ट्विटर आईडी बनाई और उन्होंने लगातार कई पोस्ट किए. उनके ट्वीट को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने री-ट्वीट कर दिया. जिसके बाद कामना सोशल मीडिया पर छा गईं और चर्चा का विषय बन गईं.
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एक पोस्ट में कामना लिखती हैं, ‘मास्क और सुरक्षा के जरूरी उपकरण जब आ जाएं तो उनकी कब्र पर पहुंचा दिए जाएं.’
उनका कहना था कि उनके अस्पतालों में इन जरूरी चीजों का भी इंतजाम ही नहीं किया जा रहा है. उनके ट्वीट को मेडिकल से जुड़े लोगों से लेकर मीडिया कर्मियों और नेताओं ने लगातार री-ट्वीट किया. हालांकि बाद में उनकी आईडी और उनके ट्वीट्स को फेक कहकर भी भ्रामक बातें कही गई.
दिप्रिंट ने डॉक्टर कामना से बात की. कामना ने बताया कि वो मामले को ‘सेंसेशनलाइज’ ना करके मेडिकल सुविधाओं की तरफ सरकार और प्रशासन का ध्यान ‘आकर्षित’ कराना चाहती थीं. उन्होंने ये भी कहा कि वो किसी पार्टी या संगठन से नहीं जुड़ी हैं, आठ-नौ साल से डॉक्टरी के पेशे से जुड़ी हैं.
डॉ.कामना कहती हैं, ‘ मैं अपने पेशे और काम के लिए बहुत सीरियस हूं, आम जनता और उनकी सेवा में लगे डॉक्टरों के स्वास्थ्य को लेकर भी काफी चिंतित हूं.’
हालांकि बाद में उन्होंने अपना अकाउंट डिलीट कर लिया है. डिलीट करने से पहले उन्होंने अपने पहले ट्वीट के लिए माफी भी मांगी. उनका कहना था कि उन्हें मास्क की उपलब्धता के बारे में पता नहीं था. हालांकि ये ट्वीट बहुत बाद में आए जब काफी हंगामा हो चुका था. उनके डिपार्टमेंट ने इस बात पर सफाई भी दी कि ऐसा कुछ नहीं है.
कामना के ट्वीट वायरल होने के बाद मंगलवार को डॉक्टर वसुंधरा सांगवान नाम की यूजर ने भी मास्क की कमी को लेकर ट्वीट किया. इनकी ट्विटर आईडी के मुताबिक वसुंधरा जयपुर के एक कॉलेज से एमडी (मेडिसिन में मास्टर्स) कर रही हैं. ये ट्वीट भी बहुत तेजी से वायरल हुआ. वसुंधरा ने इस ट्वीट के कुछ देर बाद एक और किया. जिसमें लिखा, ‘मैं किसी राजनीतिक पार्टी या ग्रुप से नहीं जुड़ी हूं.’
दिप्रिंट बहुत पड़ताल के बाद डॉ. वसुंधरा से भी बात करने में सफल रहा. डॉ. वसुंधरा ने बताया, ‘जो लोग मुझे फेक कह रहे हैं, वो गलत हैं. मैंने अपने परिवार के वॉट्सऐप ग्रुप में अपना हाल चाल, तस्वीरें और माहौल के बारे में बताया था. मेरे भाई ने वहां से जानकारी लेकर लोगों को जागरुक करने के मकसद से ट्विटर पर शेयर कर दी. भाई ने अपने अकाउंट का नाम बदलकर मेरे नाम पर कर दिया.’
वसुंधरा ने ये भी कहा कि भाई ने बताया कि लोगों का रिस्पॉन्स इतना नेगेटिव आया कि सारे ट्वीट बाद में डिलीट करने पड़े. भाई को उम्मीद थी कि लोग मेडिकल सुविधाओं की कमी को गंभीरता से लेंगे लेकिन लोगों ने ट्रोल करना शुरू कर दिया. वसुंधरा के माता-पिता दोनों पब्लिक सर्वेंट (सरकारी नौकरी में) हैं.
गौरतलब है कि इस बीच ऐसी भी खबरें आई हैं जिनमें डॉक्टरों को लोग परेशान कर रहे हैं और कोविड-19 के नाम पर प्रताड़ित भी कर रहे हैं. और तो और मोहल्ले वाले और मकान मालिक घर तक छोड़ने को मजबूर कर रहे हैं. पुलिस की सख्ती की वजह से कैंटीन बंद हो गईं हैं जिसकी वजह से डॉक्टरों को खाना तक नसीब नहीं हो रहा है. एम्स के रेजिडेंट असोसिएशन को गृहमंत्री को इस बाबत पत्र भी लिखा है जिसके बाद गृहमंत्री अमित शाह को आगे आना पड़ा और डॉक्टरों, नर्सों और मेडिकल स्टाफ को परेशान करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने का आदेश तक देना पड़ा है.