नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति अभय एस. ओका ने शुक्रवार को कहा कि यह एक ऐसा न्यायालय है जो संवैधानिक स्वतंत्रता को कायम रख सकता है और उन्होंने ईमानदारी से उस आजादी को बरकरार रखने का प्रयास किया है।
न्यायमूर्ति ओका का आज उच्चतम न्यायालय में आखिरी कार्यदिवस था। वह 24 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
अपनी मां के निधन के एक दिन बाद, न्यायमूर्ति ओका अपने आखिरी कार्यदिवस के दिन कई फैसले सुनाने के लिए उच्चतम न्यायालय पहुंचे।
उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि यह (उच्चतम न्यायालय) एक ऐसा न्यायालय है जो संवैधानिक स्वतंत्रता को कायम रख सकता है। मैंने इस संबंध में प्रयास किया है और मुझे विश्वास है कि सामूहिक प्रयास किए जाएंगे। यह न्यायालय स्वतंत्रता कायम रखेगा। संविधान निर्माताओं का यही सपना था, और मैंने ऐसा करने के लिए ईमानदारीपूर्वक प्रयास किए।”
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी. आर. गवई ने न्यायमूर्ति ओका को अपना ‘पुराना मित्र’ बताया और उनके साथ बिताए समय को याद किया।
प्रधान न्यायाधीश ने ‘न्याय के प्रति अटूट प्रतिबद्धता’ के लिए न्यायमूर्ति ओका की सराहना की।
सीजेआई गवई ने कहा कि उनकी तरह न्यायमूर्ति ओका भी सेवानिवृत्ति के बाद कोई कार्यभार नहीं संभालेंगे।
उन्होंने कहा कि इससे उन्हें एक-दूसरे से जुड़ने के लिए अधिक समय मिल सकेगा।
सीजेआई इस साल 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे।
उच्चतम न्यायालय के तीसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति ओका की सेवानिवृत्ति की तारीख 24 मई है, हालांकि इस दिन अदालती अवकाश है।
न्यायमूर्ति ओका ने न्यायपालिका में दो दशकों से अधिक समय तक सेवा की। वह बंबई उउच्च न्यायालय के न्यायाधीश, कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे। उन्हें 31 अगस्त, 2021 को उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्ति किया गया था।
भाषा जोहेब प्रशांत
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