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बुधवार, 4 जून, 2025
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उच्चतम न्यायालय ने एक व्यक्ति को दोस्त की हत्या के मामले में बरी किया

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नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक व्यक्ति को उसके दोस्त की हत्या के आरोप से बुधवार को बरी कर दिया और कहा कि 2010 में हुए अपराध के पीछे कोई स्पष्ट मकसद नहीं बताया गया।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीशचंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने अपराध के पीछे मकसद पता लगाए बिना परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर वैभव को दोषी ठहराया।

पुलिस ने दावा किया कि वैभव ने रिवॉल्वर से अपने दोस्त को गोली मार दी थी।

हालांकि, दोषी ने दावा किया कि पीड़ित मंगेश ने गलती से खुद को गोली मारी थी।

वैभव ने कहा कि उसने डर के कारण ऐसा किया और घटनास्थल को साफ करके शव को हटा दिया।

पीठ ने कहा, “हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि उच्च न्यायालय ने दोषी का पता लगाने और निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखने में गलती की है। पेश किए गए परिस्थितिजन्य साक्ष्य सुसंगत नहीं हैं।”

पीठ ने आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और शस्त्र अधिनियम के एक प्रावधान के तहत उसकी दोषसिद्धि खारिज कर दी।

हालांकि, पीठ ने धारा 201 आईपीसी (साक्ष्यों को गायब करने) के तहत उसकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा और जेल की सजा सुनाई, जिसे वह पहले ही काट चुका है।

आरोपी और पीड़ित महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में बागला होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज में छात्र थे और अक्सर अपने दोपहिया वाहनों पर एक साथ आते-जाते थे।

वे 16 सितंबर, 2010 को मंगेश के स्कूटर पर एक साथ कॉलेज से निकले, एक स्टॉल पर चाय पी और दोपहर में वैभव के घर आ गए।

जब ​​मंगेश के पिता को देर शाम पता चला कि उनका बेटा घर नहीं पहुंचा है, तो उन्होंने उसकी तलाश की और आखिरकार गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।

अगले दिन मंगेश का शव बरामद हुआ और वैभव के खिलाफ मामला दर्ज किया गया क्योंकि वह आखिरी समय में पीड़ित के साथ था।

भाषा जोहेब माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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