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उच्चतम न्यायालय ने हत्या के मामले में एक व्यक्ति को बरी किया

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नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें 2016 के हत्या के एक मामले में व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा गया था।

अदालत ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य उसे दोषी ठहराने के लिए ‘‘इतने निर्णायक’’ नहीं हैं।

न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ उच्च न्यायालय के अप्रैल 2024 के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी।

याचिकाकर्ता पद्मन बिभार को चार अप्रैल, 2016 को अपनी पत्नी के करीबी रिश्तेदार की हत्या के लिए निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

पीठ ने कहा, ‘‘मौजूदा मामले में अपीलकर्ता के खिलाफ एकमात्र सबूत यह है कि वे दोनों आखिरी बार एक साथ देखे गए थे जबकि वारदात को अंजाम देने के मकसद का सबूत हमें संतुष्ट नहीं करता है, क्योंकि अगर अपीलकर्ता को अपनी पत्नी के बारे में कोई संदेह था, तो उसने अपनी पत्नी के करीबी रिश्तेदार के बजाय पत्नी को चोट पहुंचाई होती या नुकसान पहुंचाया होता। पत्नी के करीबी रिश्तेदार के साथ उसकी कोई दुश्मनी नहीं थी।’’

इसने कहा कि अपराध के लिए इस्तेमाल कथित हथियार (मृतक के सिर पर वार करने के लिए इस्तेमाल किया गया पत्थर) और शव बिभर की निशानदेही पर बरामद नहीं किया गया और न ही उसने अपना अपराध स्वीकार किया।

भाषा शफीक संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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