नई दिल्ली: केरल के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को तिरुवनंतपुरम में डिजिटल साइंस पार्क की आधारशिला रखी.
अपने दो दिवसीय दौरे पर पीएम मोदी केरल में 3,200 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन भी करेंगे. प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अनुसार, डिजिटल साइंस पार्क की परिकल्पना शिक्षा के सहयोग से उद्योग और व्यावसायिक इकाइयों द्वारा डिजिटल उत्पादों और सेवाओं को विकसित करने के लिए एक प्रमुख शोध सुविधा के रूप में की गई है.
तीसरी पीढ़ी के साइंस पार्क के रूप में, डिजिटल साइंस पार्क में एआई, डेटा एनालिटिक्स, साइबर सुरक्षा, स्मार्ट सामग्री आदि जैसी उद्योग 4.0 तकनीकों के क्षेत्र में उत्पादों के विकास का समर्थन करने के लिए आम सुविधाएं होंगी.
इस परियोजना के पहले चरण के लिए प्रारंभिक निवेश लगभग 200 करोड़ रुपये है, जबकि कुल परियोजना परिव्यय लगभग 1,515 करोड़ रुपये अनुमानित है.
इससे पहले दिन में, पीएम मोदी ने केरल की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई, जो तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक चलेगी.
पीएम मोदी ने तिरुवनंतपुरम सेंट्रल स्टेशन पर वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई.
प्रधान मंत्री कोच्चि वाटर मेट्रो का भी उद्घाटन करेंगे, जो अपनी तरह की एक परियोजना है जो कोच्चि के आसपास के 10 द्वीपों को शहर के साथ निर्बाध कनेक्टिविटी के लिए बैटरी संचालित इलेक्ट्रिक हाइब्रिड नौकाओं के माध्यम से जोड़ती है.
कोच्चि वाटर मेट्रो के अलावा, डिंडीगुल-पलानी-पलक्कड़ खंड के रेल विद्युतीकरण का भी उद्घाटन प्रधान मंत्री द्वारा किया जाएगा.
आयोजन के दौरान, प्रधानमंत्री तिरुवनंतपुरम, कोझिकोड और वर्कला शिवगिरी रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास सहित विभिन्न रेल परियोजनाओं की नींव रखेंगे.
‘रेलवे अपने स्वर्णिम युग की ओर’
रेल परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की बढ़ती हुई शक्ति और ताकत का लाभ विदेश में रहने वाले प्रवासियों को भी मिल रहा है. बीते 9 वर्षों से भारत में कनेक्टिविटी के इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व स्पीड से काम किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘आज हम देश के पब्लिक ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक सेक्टर का पूरी तरह से कायाकल्प कर रहे हैं. हम भारतीय रेल के स्वर्णिम युग की तरफ बढ़ रहे हैं.’
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में आगे कहा, ‘देश के पब्लिक ट्रांसपोर्ट को आधुनिक बनाने की दिशा में हमने एक और प्रयास किया है. हमारा प्रयास स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल ‘मेड इन इंडिया’ समाधान देने का है. सेमी-हाई स्पीड ट्रेन हो, रो-रो फेरी हो, रोप-वे हो, जहां जैसी जरूरत, वहां वैसा सिस्टम तैयार किया जा रहा है.’
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