(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, नौ जून (भाषा) दिल्ली विधानसभा की नियम संबंधी समिति ने सोमवार को सदन के लिए अलग विधायी सचिवालय की स्थापना और वित्तीय स्वायत्तता का प्रस्ताव रखा।
एक अधिकारी ने कहा कि 1993 में गठन के बाद से, दिल्ली विधानसभा एक समर्पित सचिवीय कैडर या वित्तीय स्वतंत्रता के बिना काम कर रही है।
पिछले सप्ताह दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा था कि विधानसभा जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम, 2023 के अनुसार प्रक्रिया के नियमों में संशोधन करने की योजना बना रही है।
अधिकारी ने बताया कि नियम संबंधी समिति ने सोमवार को एक बैठक की और स्वतंत्र सचिवालय की स्थापना एवं दिल्ली विधानसभा को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करने के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति व्यक्त की।
उम्मीद है कि समिति आगामी मानसून सत्र में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और उसे सदन में पेश किया जाएगा।
गुप्ता समिति के अध्यक्ष हैं जबकि विधानसभा उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, अशोक गोयल, शिखा रॉय, संदीप सहरावत, उमंग बजाज, जरनैल सिंह, प्रवेश रत्न और वीरेंद्र सिंह कादियान उसके अन्य सदस्य हैं।
जहां संसद और राज्य विधानसभाओं में अध्यक्ष के पास नियुक्तियों और प्रशासनिक मामलों पर अधिकार होता है, वहीं दिल्ली विधानसभा विभिन्न सरकारी विभागों से प्रतिनियुक्त अधिकारियों पर निर्भर करती है।
अधिकारी ने बताया कि इस निर्भरता के कारण परिचालन अक्षमताएं पैदा हुई हैं और विधानसभा की कार्यात्मक स्वायत्तता कम हुई है।
गुप्ता ने बैठक में विधानसभा के लिए अलग से विधायी सचिवालय और वित्तीय स्वायत्तता की स्थापना का प्रस्ताव रखा। यह प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 98 और 187 के अनुरूप है, जो संसद और राज्य विधानसभाओं के लिए क्रमशः ऐसे प्रावधान सुनिश्चित करते हैं।
संविधान के अनुच्छेद 239 एए (बी) के आलोक में यह प्रस्ताव किया गया है कि नियम संबंधी समिति जीएनसीटीडी अधिनियम, 1991 में संशोधन की सिफारिश कर सकती है। अनुच्छेद 239 एए(बी) संसद को दिल्ली विधानसभा के कामकाज से संबंधित मामलों को विनियमित करने का अधिकार देता है।
अधिकारी ने कहा कि इससे (इस संशोधन से) एक अलग सचिवालय का गठन हो सकेगा और दिल्ली विधानसभा को वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी, जिससे यह राज्य विधानसभाओं और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के बराबर हो जाएगी।
भाषा राजकुमार रंजन
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