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मंगलवार, 24 जून, 2025
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विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने में मध्य क्षेत्र परिषद के राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण : शाह

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वाराणसी (उप्र), 24 जून (भाषा) केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को वाराणसी में मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक की अध्यक्षता की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य को हासिल करने में मध्य क्षेत्रीय परिषद के राज्यों की खासी अहम भूमिका है।

बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भाग लिया। बैठक में सदस्य राज्यों के वरिष्ठ मंत्री, केन्द्रीय गृह सचिव, अंतर-राज्य परिषद सचिवालय के सचिव, सदस्य राज्यों के मुख्य सचिव और राज्यों तथा केन्द्रीय मंत्रालयों एवं विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक बैठक में गृह मंत्री, सभी उपस्थित मुख्यमंत्रियों एवं सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति और भारतीय सशस्त्र सेनाओं के पराक्रम के अभिनंदन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिससे परिषद ने ध्वनिमत से अनुमोदित किया।

शाह ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य को हासिल करने में मध्य क्षेत्रीय परिषद के राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि मध्य क्षेत्रीय परिषद ही एकमात्र ऐसी परिषद है जहां दो सदस्य राज्यों के बीच किसी प्रकार की कोई समस्या या विवाद नहीं है, यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

गृह मंत्री शाह ने कहा कि जहां वर्ष 2004 से 2014 तक क्षेत्रीय परिषद की सिर्फ 11 बैठकें और परिषद की स्थायी समितियों की केवल 14 बैठकें हुई थीं, वहीं 2014-25 में क्षेत्रीय परिषद की 28 बैठकें और स्थायी समितियों की 33 बैठकें हुई हैं। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक इन बैठकों में 1287 मुद्दों का निराकरण किया गया है, जो कि अपने आप में ऐतिहासिक भी है और उत्साह बढ़ाने वाला भी है।

बैठक में गृह मंत्री शाह ने सदस्य राज्यों की ग्राम पंचायतों की आय बढ़ाने और इसके लिए नियम बनाने को भी कहा। उन्होंने कहा कि पंचायतों की आय बढ़ने से ही भारत की त्रिस्तरीय लोकतांत्रिक पंचायती राज व्यवस्था और अधिक कारगर होगी।

बयान के मुताबिक आज की बैठक में राष्ट्रीय महत्व के व्यापक विषयों सहित कुल 19 मुद्दों पर चर्चा हुई। बयान के मुताबिक इनमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित जांच और इनके शीघ्र निपटारे के लिए त्वरित सुनवायी विशेष अदालतों का कार्यान्वयन, हर गांव के नियत दायरे में ‘ब्रिक-एंड-मोर्टार’ बैंकिंग सुविधा और आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली का कार्यान्वयन जैसे विभिन्न मुद्दे शामिल रहे।

बैठक में गृह मंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय परिषद के सभी राज्य बच्चों में कुपोषण दूर करने, ड्रॉप-आउट (स्कूल की पढ़ायी बीच में छोड़ना) अनुपात को शून्य करने और सहकारिता को सुदृढ़ बनाना सुनिश्चित करें।

राज्य पुनर्गठन अधिनियम—1956 की धारा 15 से 22 के तहत पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई थी। केंद्रीय गृह मंत्री इन पांचों क्षेत्रीय परिषदों के अध्यक्ष हैं और सदस्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री / उप-राज्यपाल / प्रशासक इनके सदस्य हैं, जिनमें से सदस्य राज्यों से एक राज्य के मुख्यमंत्री (हर साल बारी-बारी से) उपाध्यक्ष होते हैं। प्रत्येक सदस्य राज्य से राज्यपाल द्वारा 2 मंत्रियों को परिषद के सदस्य के रूप में नामित किया जाता है।

बयान के मुताबिक हर क्षेत्रीय परिषद ने मुख्य सचिवों के स्तर पर एक स्थायी समिति का भी गठन किया है। राज्यों द्वारा प्रस्तावित मुद्दों को प्रथमतः संबन्धित क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समितियों के समक्ष चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जाता है। स्थायी समितियों में विचार के बाद शेष बचे मुद्दों को क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों में विचार के लिए प्रस्तुत किया जाता है।

क्षेत्रीय परिषदों की भूमिका सलाहकार की है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ये परिषदें विभिन्न क्षेत्रों में आपसी समझ और सहयोग के स्वस्थ बंधन को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुई हैं। सभी राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के सहयोग से पिछले ग्यारह वर्षों में विभिन्न क्षेत्रीय परिषदों और इनकी स्थायी समितियों की अब तक कुल 62 बैठकें आयोजित हुईं है।

उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी ने ‘एक्‍स’ पर एक पोस्‍ट में कहा, ”प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने ‘सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद’ को देश के सर्वांगीण विकास का सशक्त माध्यम बताया है। इसी क्रम में आज वाराणसी में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह जी की अध्यक्षता में आयोजित मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक में सहभाग किया।”

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ”एक्‍स” पर अपने पोस्ट में बैठक में शामिल होने की जानकारी देते हुए कहा, ”बैठक के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क, संचार और सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के माध्यम से अधिक सहयोग का आग्रह किया। साथ ही ”वाइब्रेंट विलेज योजना” के अंतर्गत सीमांत गांवों में सुविधाओं के विकास, भारत नेट और सैटेलाइट संचार सेवाओं के शीघ्र विस्तार पर अपने विचार रखे।”

धामी ने कहा, ”प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अनुदान प्रक्रिया को सरल बनाने, 1989 की दूरस्थ घाटी अधिसूचना को निरस्त करने और मानसून के दौरान उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन, अतिवृष्टि व बादल फटने जैसी आपदाओं से सड़कों को होने वाली क्षति के दृष्टिगत प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के सुचारू संचालन हेतु राज्य को अतिरिक्त सहयोग देने की आवश्यकता पर सुझाव दिए।”

भाषा आनन्द सं. सलीम अमित

अमित

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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