मुंबई, 12 अप्रैल (भाषा) पटकथा लेखक एवं गीतकार जावेद अख्तर ने कविता को ‘‘न्याय की भाषा’’ और ‘‘समाज की मुखर आवाज’’ बताते हुए कहा है कि दक्षिणपंथी दुनियाभर में कोई बड़ा कवि नहीं दे पाए हैं।
वह शुक्रवार शाम मध्य मुंबई के भायखला में अन्नाभाऊ साठे सभागार में समष्टि कला और साहित्य महोत्सव के दौरान ‘नामदेव ढसाल समष्टि पुरस्कार’ प्राप्त करने के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
इस दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन प्रसिद्ध मराठी कवि एवं दलित कार्यकर्ता दिवंगत नामदेव ढसाल की स्मृति में किया गया, जो 11 अप्रैल से शुरू हुआ।
अख्तर ने कहा, ‘‘जो लोग प्रेम कविताएं सुनते हैं, वे नहीं जानते कि कविता केवल प्रेम की भाषा नहीं है, बल्कि यह न्याय की भाषा भी है। कविता का सार पूरी दुनिया में सांस्कृतिक रूप से एक समान है। और यही कारण है कि विश्व के इतिहास में, दक्षिणपंथी कभी कोई बड़ा कवि नहीं दे पाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कविता समानता में विश्वास करती है, न्याय में विश्वास करती है और इसी तरह की कविता जो इन मूल्यों की शिक्षा देती है, उसे दुनिया भर में स्वीकार किया गया है।’’
अख्तर ने कहा, ‘‘बड़ा कवि वह होता है जो न्याय के बारे में बोलता है और जिस कवि (ढसाल) के नाम पर हम आज यहां इकट्ठा हुए हैं, उन्होंने न्याय के बारे में बात की थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कविता समाज की मुखर आवाज है। महात्मा फुले और बाबासाहेब आंबेडकर ने बेजुबानों को आवाज प्रदान की…सामाजिक न्याय के लिए हमारा पूरा आंदोलन महाराष्ट्र से शुरू हुआ।’’
उन्होंने ढसाल की तुलना ज्वालामुखी से करते हुए कहा, ‘‘लावा एक दिन में नहीं निकलता। इसे बनने में कई साल लगते हैं और यह एक दिन पहाड़ को तोड़कर विस्फोट के साथ निकलता है।’’
अख्तर ने ढसाल की कविता ‘रक्तात पेटलेल्या अगणित सूर्यनो’ का उर्दू अनुवाद भी पढ़ा।
पत्रकार ज्ञानेश महाराव, राजू परुलेकर, श्यामल गरुड, अमोल देवलेकर, दिशा वाडेकर और अन्य को समारोह में सम्मानित किया गया।
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खारी सुभाष
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