मुंबई, 18 जून (भाषा) फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली का कहना है कि उनकी फिल्म ‘उमराव जान’ की चमक कुछ फीकी पड़ गई थी लेकिन पुनरूद्धार के बाद यह पूरी तरह से जीवंत हो गई है।
उन्होंने रेखा अभिनीत इस फिल्म की दोबारा रिलीज को भावनात्मक क्षण बताया।
वर्ष 1981 की इस फिल्म को रिस्टोर किया गया है और 27 जून को सिनेमाघरों में फिर से रिलीज किया जाएगा। फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम-राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार द्वारा राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन के तहत बहाल किया गया है।
अली ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम संबंधों, पीढ़ियों, अंतराल और भावनाओं को पाट रहे हैं। यह कोई नई फिल्म नहीं है। यह एक ऐसी फिल्म है जिसे आपकी मां पहले ही देख चुकी हैं। इसलिए, यह एक भावनात्मक आकर्षण है कि लोग इसे देखने जा रहे हैं क्योंकि उन्होंने इसे किसी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर नहीं देखा है। रिस्टोर होने से पहले इसकी चमक खो गई थी; अब यह पूरी तरह से जीवंत हो रही है।’’
लखनऊ में पले-बढ़े अली ने ‘उमराव जान’ को एक मौलिक फिल्म बताया, जो अवध की संस्कृति, एक महिला होने के कष्टों और परेशानियों को प्रामाणिक रूप से दिखाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी चुनौती अवध को उसी तरह प्रस्तुत करना था जिस तरह (सत्यजीत) रे बंगाल को प्रस्तुत कर रहे थे, और अवध को उस अर्थ में प्रस्तुत करने वाला कोई नहीं था, इसलिए मैंने अवध की सच्चाई का एक सच्चा टुकड़ा प्रस्तुत करने का बीड़ा उठाया।’’
अली ने ‘गमन’, ‘आगमन’, ‘अंजुमन’ और ‘जानिसार’ फिल्मों का भी निर्देशन किया है।
मिर्जा हादी रुसवा के 1899 के ऐतिहासिक उपन्यास ‘उमराव जान अदा’ के रूपांतरण के रूप में बनी इस फिल्म ने अपनी बारीक कहानी, गीतों और रेखा के अभिनय के लिए व्यापक प्रशंसा प्राप्त की। रेखा को इस फिल्म में अमीरन के किरदार के लिए उनका पहला राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे फिल्म के हर पल पर गर्व है। जब मैंने फिल्म करने का फैसला किया… रेखा का चुनाव करने से लेकर संगीत तक, सब कुछ यादगार है।’’
भाषा वैभव नरेश
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