देहरादून, 26 मई (भाषा) उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गौरीगंगा नदी पर प्रस्तावित 120 मेगावाट क्षमता की सिरकारी भ्योल रूपसियाबगड जल विद्युत परियोजना के लिए 29.997 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण के प्रस्ताव पर सोमवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति ने विचार किया और परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी।
यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, दिल्ली स्थित इंदिरा पर्यावरण भवन में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में समिति ने परियोजना को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह परियोजना पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशीलता के साथ डिजाइन की गई है और लगभग एक किलोमीटर लंबी सुरंग के निर्माण और अधिकांश संरचनाओं के भूमिगत होने के कारण वनभूमि पर प्रभाव नगण्य रहेगा। परियोजना क्षेत्र में कोई राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य या ‘ईको-सेंसिटिव जोन’ नहीं है और न ही इससे किसी प्रकार का विस्थापन होगा।
परियोजना से प्रतिवर्ष अनुमानित 52.9 करोड़ यूनिट हरित ऊर्जा का उत्पादन होगा, जिससे उत्तराखंड की विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
इसके साथ ही इससे स्थानीय लोगों के लिए स्थायी एवं अस्थायी रोजगार, आधारभूत ढांचे का विकास और पलायन पर नियंत्रण जैसे अनेक लाभ होंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से भेंट के दौरान परियोजना को स्वीकृति देने का अनुरोध किया था।
परियोजना को सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “यह परियोजना उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्र के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और समर्थन से राज्य को ऊर्जा और रोजगार के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धि मिली है। राज्य सरकार जनकल्याण के प्रति पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। यह परियोजना उत्तराखंड के उज्ज्वल भविष्य की आधारशिला बनेगी।”
भाषा दीप्ति नोमान
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