पटना, 26 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता सुनील कुमार सिंह की बिहार विधान परिषद की सदस्यता शुक्रवार को समाप्त कर दी गई।
सिंह की विधान परिषद की सदस्यता समाप्त किये जाने का प्रस्ताव सदन में ध्वनिमत से पारित किया गया। सिंह के खिलाफ यह कार्रवाई इस वर्ष की शुरुआत में सदन में अभद्र व्यवहार की एक घटना के बाद की गई है।
इससे एक दिन पहले बिहार विधान परिषद की आचार समिति की रिपोर्ट सभापति अवधेश नारायण सिंह के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। इसके बाद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके परिवार के करीबी सहयोगी सिंह के खिलाफ यह कार्रवाई की गई।
राजद नेता सिंह पर 13 फरवरी को सदन के भीतर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ कुछ अपमानजनक और असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल करते हुए नारे लगाए जाने का आरोप था।
बिहार के उच्च सदन में उक्त समिति द्वारा बृहस्पतिवार को पेश एक प्रतिवेदन में सिंह के आचरण को असंसदीय और व्यवहार को अमर्यादित बताया गया था। इसमें हुए कहा गया था कि उन्होंने सदन का सदस्य बने रहने की पात्रता खो दी है और इसमें परिषद की उनकी सदस्यता समाप्त किये जाने की अनुशंसा की गई थी।
सिंह के खिलाफ इस कार्रवाई के अलावा, राजद के एक अन्य विधान परिषद सदस्य मोहम्मद सोहैब को सदन से दो दिनों के लिए निलंबित किये जाने का भी प्रस्ताव स्वीकृत किया गया। सोहैब भी उस दिन अभद्र व्यवहार में लिप्त थे। रिपोर्ट के अनुसार सोहैब ने जांच के दौरान अपने आचरण पर खेद व्यक्त किया था, जबकि सिंह ने विद्रोही रुख अपनाया था।
सिंह बिहार राज्य सहकारी विपणन संघ (बिस्कोमॉन) के प्रमुख भी हैं। उनके विरुद्ध आज सभापति द्वारा निर्णय लिए जाने की प्रबल संभावना के मद्देनजर विपक्ष की नेता राबड़ी देवी सहित राजद के सभी सदस्य काली पट्टी बांधकर और काला गमछा अपने-अपने कंधों पर डालकर सदन में पहुंचे थे।
सिंह ने अपने खिलाफ इस कार्रवाई से पहले सदन के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश कुमार को एक ‘प्रतिशोधी’ व्यक्ति बताते हुए आरोप लगाया कि वे अपने आलोचकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई करते हैं, भले ही वे उनके सहयोगी ही क्यों न हों।
राजद नेता सिंह ने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का उदाहरण देते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कुमार, अपने आलोचक रहे चौधरी को बिहार प्रदेश भाजपा प्रमुख के पद से हटवाकर उनसे बदला लिया है।
हालांकि, भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया सह-संयोजक और पार्टी के विधान परिषद सदस्य संजय मयूख ने दावा किया कि चौधरी का प्रतिस्थापन ‘एक व्यक्ति, एक पद की पार्टी की नीति के अनुरूप है।’’
इस बीच, सिंह के खिलाफ कार्रवाई के बाद बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया कि ‘यह लोकतंत्र की हत्या है और इतिहास में एक काला अध्याय है।’’
उन्होंने सवाल करते हुए कहा, ‘नीतीश कुमार ने तीखी नोकझोंक के दौरान सिंह को ‘बरबाद कर देने की धमकी दी थी। क्या सदन उनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत कर सकता है।’
आचार समिति के सदस्य एवं राजद एमएलसी अशोक कुमार पांडेय ने दावा किया कि ‘रिपोर्ट में कहा गया है कि सिफारिशें सर्वसम्मति से की गईं लेकिन सच्चाई यह है कि बार-बार अनुरोध के बावजूद कार्यवाही को हमारे साथ साझा नहीं किया गया।’
समिति अध्यक्ष एवं जनता दल यूनाइटेड (जदयू) विधान परिषद सदस्य राम बचन राय आरोप पर टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।
राजद की आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर राबड़ी देवी ने कहा कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
सुनील सिंह ने यह भी दावा किया कि इस सब के पीछे मुख्यमंत्री कुमार का एक निजी कारण था क्योंकि ‘मैं लगातार उनकी सरकार की खामियों के खिलाफ आवाज उठाता रहा हूं, उनके खेमे में जाने के प्रस्तावों को अस्वीकार करता रहा हूं।’’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आचरण समिति की रिपोर्ट ‘झूठ का पुलिंदा है।’’
भाषा अनवर नरेश अमित
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