scorecardresearch
रविवार, 25 मई, 2025
होमदेशआहार संबंधी मिथकों का खंडन करती है ‘द पावर ऑफ इम्परफेक्ट ईटिंग’

आहार संबंधी मिथकों का खंडन करती है ‘द पावर ऑफ इम्परफेक्ट ईटिंग’

Text Size:

नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) कठोर आहार नियमावली और उसमें बताए गए सख्त निर्देशों से हटकर एक नयी पुस्तक में खानपान के पारंपरिक मानदंडों को चुनौती दी गई है और परस्पर जुड़ी हुई लघु कथाओं के माध्यम से भोजन के साथ अधिक सहज, संतुलित संबंध बनाने के लिए पाठकों का मार्गदर्शन किया गया है।

कविता भटनागर की लिखी और पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया (पीआरएचआई) द्वारा प्रकाशित, ‘द पावर ऑफ इम्परफेक्ट ईटिंग’ अपनी तरह की एक अनूठी पुस्तक है, जिसमें भोजन के विकल्पों को लेकर मनोवैज्ञानिक, सांस्कृतिक व भावनात्मक कारकों पर प्रकाश डाला गया है। इस पुस्तक से पाठकों को खान-पान के प्रति अपराधबोध-मुक्त, टिकाऊ दृष्टिकोण बनाने में मदद मिल सकती है।

खानपान व्यवहार मनोविज्ञान में पीएचडी करने वाली हार्वर्ड की पूर्व छात्रा भटनागर ने एक बयान में कहा, ‘हमें खान-पान के बारे में लगातार परस्पर विरोधी सलाह मिलती रहती हैं, जिससे स्वस्थ भोजन करना एक भारी काम लगता है। यह पुस्तक भोजन के विकल्पों को सरल बनाने का मेरा प्रयास है, जिससे लोगों को बिना किसी अपराधबोध, तनाव या भय के अच्छा भोजन करने में मदद मिलती है। अब समय आ गया है कि हम आहार के प्रति रटी-रटाई सोच से आगे बढ़ें और भोजन के प्रति अधिक दयालु, जागरूक दृष्टिकोण अपनाएं।”

यह किताब 499 रुपये की कीमत पर ऑनलाइन और ऑफलाइन स्टोर्स पर बिक्री के लिए उपलब्ध है।

भाषा

जोहेब नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments