नयी दिल्ली, 14 जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के एक संदिग्ध की टेलीफोन कॉल्स रिकॉर्ड करने की अनुमति देने वाले केंद्र सरकार के फैसले को रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी और कहा कि देश का कानून कुछ निजी हितों पर जनहित के पक्ष में जोर देता है।
कॉल रिकॉर्ड करने के बाद संदिग्ध के खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया।
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने जन सुरक्षा की वजहों के मद्देनजर कॉल रिकॉर्ड करने का आदेश दिया।
कॉल रिकॉर्ड करने को अपनी निजता के अधिकार का उल्लंघन करने का दावा करने वाले आरोपी ने अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि रिकॉर्ड किए गए संदेश और कॉल्स नष्ट किए जाएं और उनके खिलाफ मुकदमे समेत किसी भी उद्देश्य के लिए उनका इस्तेमाल न किया जाए क्योंकि ये गैरकानूनी तरीकों से हासिल किए गए।
अदालत ने कहा कि कॉल रिकॉर्ड करने का आदेश निष्पक्ष, उचित और कानून के अनुसार दिया गया और टेलीग्राम नियम ‘‘इंटरसेप्शन के मामले में अत्यधिक गोपनीयता, देखभाल और सावधानी प्रदान करते हैं क्योंकि यह निजता पर असर डालता है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र के रुख के अनुसार आदेश समीक्षा समिति को भेजा गया और उन्होंने कोई प्रतिकूल निर्देश नहीं दिया।
अदालत को सूचित किया गया कि इस आदेश के अनुसार केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत कथित अपराधों के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की और छापा मारा, जिसके बाद याचिकाकर्ता और कई अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया।
इसके बाद याचिकाकर्ता को जमानत दे दी गयी और मामले में आरोपपत्र दाखिल किया गया।
सीबीआई ने दलील दी कि कॉल रिकॉर्ड जनहित के मद्देनजर वैध, उचित और निष्पक्ष है तथा ऐसा यह पता चलने के बाद किया गया कि वह भ्रष्टाचार और घूसखोरी के संबंध में कुछ लोगों से बातचीत कर रहा था।
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