(तस्वीर सहित )
नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लोग भारतीय परिवार का हिस्सा हैं और वह दिन दूर नहीं जब वे अंतरात्मा की आवाज सुनकर खुद भारत की मुख्यधारा में लौट आएंगे।
पाकिस्तान के प्रति भारत के नीतिगत दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए सिंह ने कहा कि भारत ने आतंकवाद के प्रति अपनी रणनीति और प्रतिक्रिया को ‘‘नए सिरे से तैयार और परिभाषित’’ किया है तथा पाकिस्तान के साथ संभावित वार्ता केवल आतंकवाद और पीओके के मुद्दे पर ही होगी।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के ‘बिजनेस समिट’ में अपने संबोधन में सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में ‘मेक-इन-इंडिया’ देश की राष्ट्रीय सुरक्षा में एक आवश्यक घटक रहा है और इसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रभावी कार्रवाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सिंह ने पीओके के लोगों तक पहुंचने का व्यापक प्रयास किया और कहा कि भारत उन्हें अपने ‘‘अपने’’ परिवार का हिस्सा मानता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोग हमारे अपने हैं, हमारे परिवार का हिस्सा हैं।’’
उन्होंने कहा, “हम ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प के प्रति प्रतिबद्ध हैं और हमें पूरा विश्वास है कि हमारे जो भाई आज भौगोलिक और राजनीतिक रूप से हमसे अलग हैं, वे भी किसी न किसी दिन अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर, आत्मसम्मान के साथ भारत की मुख्यधारा में लौट आएंगे।”
सिंह ने कहा कि पीओके के अधिकतर लोग भारत के साथ ‘‘गहरा जुड़ाव’’ महसूस करते हैं और केवल कुछ ही लोग ‘‘गुमराह’’ हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पीओके में रहने वाले हमारे भाई-बहनों की स्थिति वीर योद्धा महाराणा प्रताप के छोटे भाई शक्ति सिंह के समान है।’’
सिंह ने कहा, “अलग होने के बाद भी बड़े भाई का अपने छोटे भाई के प्रति विश्वास और आस्था बरकरार है।”
उन्होंने कहा, ‘‘भारत हमेशा दिलों को जोड़ने की बात करता है और हमारा मानना है कि प्रेम, एकता और सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए वह दिन दूर नहीं जब हमारा अपना हिस्सा पीओके वापस लौटेगा और कहेगा, मैं भारत हूं, मैं वापस आ गया हूं।’’
पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देते हुए सिंह ने यह भी कहा कि आतंकवाद का कारोबार मुनाफा देने वाला नहीं है, बल्कि इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी तथा पाकिस्तान को अब इसका एहसास हो गया है।
इससे तीन दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि पाकिस्तान के युवाओं को आगे आकर ‘पाकिस्तान को आतंकवाद की बीमारी से मुक्त कराना है।”
रक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए ‘मेक-इन-इंडिया’ को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वदेशी प्रणालियों के उपयोग ने यह साबित कर दिया है कि भारत में दुश्मन के किसी भी कवच को भेदने की ताकत है।
उन्होंने कहा, “हमने आतंकवादियों के ठिकानों और फिर सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया। हम और भी बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन हमने शक्ति और संयम के समन्वय का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया।”
संबोधन के दौरान सिंह ने भारत की घरेलू रक्षा क्षमताओं पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि 10 साल पहले भारत का रक्षा निर्यात 1000 करोड़ रुपये से भी कम था, लेकिन अब यह 23,500 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े पर पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि आज यह साबित हो गया है कि रक्षा में ‘मेक-इन-इंडिया’ भारत की सुरक्षा और समृद्धि दोनों के लिए आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि आज हम सिर्फ लड़ाकू विमान या मिसाइल प्रणाली ही तैयार नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम नए जमाने की युद्ध तकनीक की भी तैयारी कर रहे हैं।
सिंह ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की भारत की महत्वाकांक्षी योजना के बारे में भी बात की।
रक्षा मंत्रालय ने इस सप्ताह विमान के डिजाइन और उत्पादन के लिए ‘निष्पादन मॉडल’ को मंजूरी दे दी है। सिंह ने कहा कि उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) के ‘निष्पादन मॉडल’ के माध्यम से, निजी क्षेत्र को पहली बार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ परियोजना में भाग लेने का अवसर मिलेगा।
उन्होंने कहा, ‘एएमसीए परियोजना के तहत, पांच प्रोटोटाइप विकसित करने की योजना है, जिसके बाद श्रृंखलाबद्ध उत्पादन किया जाएगा। यह मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
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जोहेब नरेश
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