ऋषिकेश, 27 फरवरी (भाषा) उत्तराखंड के कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के ढेला रेंज के गुज्जर पड़ाव में वन्य जीवों के इलाज के लिए बने ‘रेस्क्यू सेंटर’ का विस्तार कर उसमें बाड़ों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
अभयारण्य के निदेशक साकेत बडोला ने कहा, “बाड़ों की संख्या बढ़ाने के संबंध में एक प्रस्ताव तैयार कर वन विभाग के उच्चाधिकारियों को भेज दिया गया है। ‘रेस्क्यू सेंटर’ में बाघों और तेंदुओं के लिए 16-16 बाड़ बनाने का प्रस्ताव है। वर्तमान में वहां दोनों वन्यजीवों के लिए 10-10 बाड़ मौजूद हैं।”
बडोला ने बताया कि फिलहाल ‘रेस्क्यू सेंटर’ में 11 बाघों और 13 तेंदुओं का इलाज किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “वर्ष 2021 में शुरू हुआ यह ‘रेस्क्यू सेंटर’ वृद्ध एवं घायल वन्यजीवों के लिए जीवनरेखा साबित हुआ है। इसमें अभी तक 11 बाघों का इलाज किया जा चुका है, जिनमें से आठ को उनके स्वस्थ हो जाने के बाद जंगल में उसी जगह पर वापस छोड़ा गया, जहां से उन्हें घायल अवस्था में लाया गया था। वहीं, जिन बाघों को किन्हीं कारणों से वापस जंगल में नहीं छोड़ा जा सकता था, उन्हें देहरादून प्राणी उद्यान भेज दिया गया।”
बडोला के मुताबिक, ‘रेस्क्यू सेंटर’ में इलाज के दौरान एक तेंदुए की मौत हो गई, जबकि दो अन्य तेंदुओं को इलाज के बाद वापस जंगल में छोड़ दिया गया।
उन्होंने बताया कि ‘रेस्क्यू सेंटर’ में अभयारण्य की दो पालतू हथनियों की भी चिकित्सकीय देखभाल कर उन्हें स्वस्थ किया गया और अब ये दोनों हथनियां कोर क्षेत्र के जंगल में घूम रही हैं।
बडोला के अनुसार, कॉर्बेट बाघ अभयारण्य सहित पूरे उत्तराखंड में वन्यजीवों के संरक्षण में लगातार सुधार होने के कारण वन्यजीवों, खासकर बाघों की संख्या में वृद्धि दर्ज की जा रही है।
उन्होंने बताया कि संख्या बढ़ने के साथ ही नर बाघों के बीच वर्चस्व के लिए संघर्ष भी अधिक होने लगता है और बाहर खदेड़े जाने वाले घायल बाघों के इलाज के लिए ‘रेस्क्यू सेंटर’ ही समाधान है।
बडोला ने कहा कि बाघों की बढ़ती आबादी के साथ बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए ‘रेस्क्यू सेंटर’ में बाड़ों की संख्या में वृद्धि करना समय की मांग है।
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सं दीप्ति पारुल
पारुल
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