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Tuesday, 23 December, 2025
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‘‘अगली फरमाइश है झुमरी तलैया से’’- कभी रेडियो की दुनिया की पहचान थे ये शब्द

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(नमिता तिवारी)

झुमरी तलैया (झारखंड), 23 दिसंबर (भाषा) ‘‘अगली फरमाइश है झुमरी तलैया से’’ — इन शब्दों में कभी एक जादुई आकर्षण था, जो प्रकृति की गोद में और एक शांत झील के किनारे बसे इस अनोखे शहर में लोगों के दिलों की धड़कन बढ़ा देता था।

झुमरी तलैया में आज भी वह पुरानी यादें ताज़ा हैं। यह शहर 1890 में अंग्रेजों द्वारा खोजी गई एक समृद्ध अभ्रक बेल्ट का हिस्सा था, और 1950 के दशक की शुरुआत में राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर हो गया, जब रेडियो सीलोन और ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) के विविध भारती पर इस शहर से गानों की फरमाइशें आने लगीं।

श्रीलंका का रेडियो सीलोन इस हफ्ते 100 साल का हो गया। रेडियो सीलोन वह प्रसारणकर्ता है जिसने मशहूर साप्ताहिक हिंदी फिल्मी गानों के काउंटडाउन बिनाका गीतमाला को लोकप्रिय बनाया। रेडियो सीलोन के 100 का होने के साथ ही झुमरी तलैया में वह पुरानी यादें ताज़ा हो गईं, जहां आज भी कई लोग इसे प्यार से ‘रेडियो सीलोन’ के नाम से याद करते हैं।

यह वह शहर था जहां अनगिनत श्रोता अपने पसंदीदा गाने सुनने के लिए समय से पहले रेडियो पर ट्यून कर लेते थे, और अक्सर उस पल मेजें थपथपाते थे जब अमीन सयानी जैसे उद्घोषक घोषणा करते थे: ‘‘अगली फरमाइश है झुमरी तलैया से।’’

वित्त मंत्रालय में 1991 बैच के भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी राजीव रंजन के अनुसार, झुमरी तलैया का संगीत के प्रति जुनून इसके आर्थिक इतिहास और 1890 में इस क्षेत्र में अभ्रक के विशाल भंडार की खोज से गहराई से जुड़ा हुआ है।

झुमरी तलैया में रंजन का परिवार पांच दशक तक रहा। वह दिवंगत डॉ सरला सिंह के बेटे हैं जो इस क्षेत्र की मशहूर हस्ती थीं।

रंजन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘झुमरी तलैया के अभ्रक कारोबारी – चट्टू राम भदानी और होरिल राम भदानी – इस क्षेत्र में लगभग 1,000 खदानों को नियंत्रित करते थे। इन व्यापारियों ने इस शांत गांव को संगीत के प्रति प्रेम रखने वाले एक खनन क्षेत्र में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मशहूर भदानी परिवार ने तो मुंबई से सुरैया (एक जानी-मानी बॉलीवुड पार्श्व गायिका) को भी वहां एक कॉन्सर्ट में प्रस्तुति देने के लिए बुलाया था। मेरे परिवार, जिसमें मेरे पिता दिवंगत बैकुंठ प्रसाद सिंह भी शामिल थे, ने 1971 में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को वहां लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।’’

रंजन ने कहा, ‘‘हमें आज भी उस्ताद बिस्मिल्लाह खान द्वारा गाया ‘दिल का खिलौना हाय टूट गया’ गाना याद है।’’

सैनिक स्कूल तिलैया के पूर्व छात्र और चेन्नई में पदस्थ रंजन ने स्मृतियों की गहराई में जाते हुए कहा रेडियो को लेकर जुनून तब बढ़ा जब एक अभ्रक व्यापारी, रामेश्वर प्रसाद बर्णवाल, बिनाका गीतमाला के लिए रोज़ाना रेडियो सीलोन को गाने की फरमाइश वाले पोस्टकार्ड भेजने लगे।

उन्होंने कहा, “क्योंकि बर्णवाल रोज़ाना पोस्टकार्ड भेजते थे, इसलिए शो में अनाउंस होने वाली फरमाइशों में उनका नाम नियमित रूप से आने लगा। इससे झुमरी तलैया के दूसरे लोग भी अपनी फरमाइशें भेजने के लिए प्रेरित हुए।’’

जल्द ही, रेडियो पर गानों की फरमाइशें भेजना पूरे शहर में एक आम बात हो गई। रेडियो के शौकीनों ने अनौपचारिक श्रोता क्लब बनाए और यह देखने के लिए मुकाबला करने लगे कि कौन एक दिन या महीने में सबसे ज़्यादा फरमाइशें भेज सकता है।

रंजन के अनुसार, जब ऑल इंडिया रेडियो ने 1957 में विविध भारती पर पुराने हिंदी फिल्मी गाने फिर से प्रसारित करना शुरू किया, तो स्टेशन को झुमरी तलैया से सैकड़ों फरमाइशें मिलीं। काम का बोझ कम करने के लिए, आकाशवाणी ने पोस्टकार्ड पर मानक फरमाइश प्रारूप भी छपवाए।

प्रमुख उद्योगपति राहुल मोदी, जिनके दादा रामेश्वर मोदी एक जाने-माने अभ्रक व्यापारी थे, ने पहले ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था, “मेरे दादा और दूसरे लोग इस बात पर शर्त लगाते थे कि संगीत फरमाइश कार्यक्रम के दौरान किस दिन किसका नाम अनाउंस होगा।”

सैनिक स्कूल तिलैया पूर्व छात्र संगठन के अध्यक्ष आशीष सिन्हा कहते हैं कि झुमरी तलैया की पहचान रेडियो की वजह से है।

संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था से जुड़े डॉक्टर दीपक कुमार ने याद किया कि स्कूल के हॉस्टल में रेडियो प्रतिबंधित थे।

उन्होंने कहा, “हमने किसी तरह बिनाका गीतमाला सुनने का इंतज़ाम किया। हम स्टाफ क्वार्टर से गाने बजते हुए सुन सकते थे। उस समय, झुमरी तलैया हजारीबाग ज़िले का हिस्सा था।’’

बिनाका गीतमाला 1952 से 1988 तक रेडियो सीलोन पर प्रसारित होता था, फिर 1989 में यह आकाशवाणी के विविध भारती चैनल पर प्रसारित किया जाने लगा और वहां यह 1994 तक चला।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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