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रविवार, 1 जून, 2025
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बिहार की नयी फिल्म नीति से सितारों में जगी उम्मीद की किरण

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प्रमोद कुमार, नचिकेता नारायण

पटना, 27 नवंबर (भाषा) नयी फिल्म नीति का मसौदा तैयार करने की बिहार सरकार की हालिया घोषणा पर राज्य के उन कलाकारों ने खुशी जाहिर की है, जिन्होंने बॉलीवुड में तो बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है, लेकिन ज्यादातर काम अपने गृह राज्य के बाहर किया है।

गोवा में आयोजित भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में बिहार के कला एवं संस्कृति मंत्री जितेंद्र कुमार राय ने कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत सरकार उस नीति को अंतिम रूप दे रही है, जिसमें बिहार को एक आकर्षक शूटिंग स्थल के रूप में विकसित किए जाने का प्रावधान है, खासतौर पर भोजपुरी जैसी भाषाओं की फिल्मों के लिए, जिनका अब बहुत बड़ा बाजार है।

बिहार के गोपालगंज जिले के रहने वाले और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता पंकज त्रिपाठी का मानना है कि इस पहल का लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “ऐसे कई फिल्म निर्माता हैं, जो दृश्यों को ज्यादा वास्तविक दिखाने के लिए मुंबई से दूर बिहार में शूटिंग करना चाहते हैं, लेकिन यहां पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में वे झारखंड, उत्तर प्रदेश या अन्य राज्यों का रुख कर लेते हैं। उम्मीद है कि नयी नीति सुविधाओं की कमी को दूर करेगी।”

बॉलीवुड के बड़े सितारे प्रचार गतिविधियों के लिए अक्सर बिहार पहुंचते हैं, पर राज्य में फिल्मों की शूटिंग के उदाहरण बहुत कम हैं।

बिहार के बुजुर्ग अभी भी मशहूर अभिनेता देव आनंद और हेमा मालिनी को याद करते हैं, जो 1970 के दशक में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों पर फिल्म ‘जॉनी मेरा नाम’ के एक गाने की शूटिंग के लिए राज्य में आए थे।

हालांकि, खराब भीड़ प्रबंधन के चलते फिल्म यूनिट के सदस्य शिकायत के साथ लौटे थे, जिसकी छाया लंबे समय तक बिहार पर बनी रही।

रिचर्ड एटनबरो की ‘गांधी’, मनोज बाजपेयी की ‘शूल’ और हाल ही में प्रदर्शित ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’, जिसमें अर्जुन कपूर मुख्य भूमिका में थे, जैसे अपवादों को छोडकर बिहार में फिल्मों की शूटिंग शायद ही हुई है।

यहां तक कि प्रकाश झा जैसे फिल्म निर्माता, जिनकी प्रमुख फिल्में जैसे ‘दामुल’, ‘मृत्युदंड’, ‘गंगाजल’ और ‘अपहरण’ उनके गृह राज्य की कहानियों पर आधारित हैं, बिहार में शूटिंग करने से कतराते हैं।

हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और भोजपुरी फिल्मों के मशहूर अभिनेता एवं गायक मनोज तिवारी ने सुझाव दिया, “बिहार सरकार के पास 500 करोड़ रुपये का कोष होना चाहिए। यह कोष क्षेत्रीय सिनेमा के उन निर्माताओं का समर्थन करने के लिए बनाया जाना चाहिए, जिन्हें अपना प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए पूंजी की जरूरत होती है।”

उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि नयी फिल्म नीति कागज पर न रहे और इसके ठोस परिणाम दिखाई दें। हम राजनीतिक मतभेदों को छोड़कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मदद करने के लिए तैयार हैं।”

उत्तर प्रदेश में जन्मे भोजपुरी अभिनेता रवि किशन ने भी बिहार के भभुआ शहर से ताल्लुक रखने वाले तिवारी की बात का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार गोरखपुर सहित राज्य के अन्य हिस्सों में फिल्म सिटी विकसित कर रही है। बिहार में प्रतिभा और संसाधनों की कोई कमी नहीं है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि ऐसा न किया जा सके।”

रवि किशन ने कहा कि राज्य सरकार को क्षेत्रीय सिनेमा पर भी ध्यान देना चाहिए।

भोजपुरी सिनेमा का उदय फिल्म ‘गंगा मैया तोहे पियारी चढ़ाइबो’ से माना जाता है, जो 1963 में प्रदर्शित हुई थी। बॉलीवुड के प्रसिद्ध चरित्र कलाकार नजीर हुसैन इस फिल्म के पटकथा लेखक थे। उन्होंने ‘गंगा मैया तोहे पियारी चढ़ाइबो’ में मुख्य भूमिका भी निभाई थी।

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का अपनी मूल भाषा के प्रति प्रेम इस बात से परिलक्षित होता है कि उन्होंने उक्त फिल्म के रिलीज होने से पहले इसकी विशेष स्क्रीनिंग का आयोजन करवाया था।

हालांकि, भोजपुरी सिनेमा ने हाल के वर्षों में अच्छी कमाई की है, लेकिन अच्छी पटकथा के अभाव के कारण इसकी साख में कमी आई है। यही कारण है कि गंभीर विषयों पर फिल्में बनाने वाले निर्माता अब मैथिली और मगही बोली में फिल्मों का निर्माण करना ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं, जिनका बाजार छोटा, लेकिन बडे़ पैमाने पर अछूता है।

बिहार के कला एवं संस्कृति मंत्री राय ने गोवा में निर्माता-निर्देशकों के साथ बातचीत के दौरान उनकी चिंताओं को दूर करते हुए कहा था कि हमारा ध्यान शूटिंग के लिए एकल विंडो मंजूरी की सुविधा प्रदान करने, बेहतर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने और बिहार को सभी फिल्म निर्माताओं के लिए एक पसंदीदा शूटिंग स्थल बनाने पर है।

उन्होंने कहा था, “हम क्षेत्रीय भाषाओं में फिल्में बनाने वाले लोगों को अनुदान जैसे विशेष प्रोत्साहन देने का इरादा रखते हैं। बिहार जिसका गौरवशाली अतीत और समृद्ध विरासत है, उसे मनोरंजन उद्योग के लिए आकर्षक शूटिेंग स्थल बनाने के वास्ते फिल्म नीति के मसौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है।”

भाषा

अनवर पारुल

पारुल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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