(मानस प्रतिम भुइयां)
नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) एमक्यू-9बी समुद्री निगरानी ड्रोन के बंगाल की खाड़ी में दुर्घटनाग्रस्त होने के कुछ महीने बाद भारतीय नौसेना को अमेरिका स्थित निर्माता कंपनी जनरल एटॉमिक्स से इसकी जगह ऊंचाई पर उड़ान भरने वाला दूसरा निगरानी ड्रोन मिल गया है। नौसेना के आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।
भारतीय नौसेना द्वारा पट्टे पर लिए गए दो एमक्यू-9बी ड्रोन में से एक पिछले साल सितंबर के मध्य में तकनीकी खराबी के बाद समुद्र में आपात स्थिति में उतारे जाने के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि जनरल एटॉमिक्स ने अनुबंध की शर्तों के तहत समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त हुए ड्रोन की जगह दूसरा एमक्यू-9बी भेजा है।
एमक्यू-9बी ड्रोन लगातार 35 घंटे से अधिक समय तक हवा में उड़ान भरने में सक्षम हैं। ये एक बार में चार हेलफायर मिसाइल और लगभग 450 किलोग्राम वजन के बम ले जा सकते हैं।
भारतीय नौसेना ने 2020 में दो एमक्यू-9बी ड्रोन एक साल की अवधि के लिए पट्टे पर लिया था। हालांकि, बाद में पट्टे की अवधि बढ़ा दी गई थी।
पिछले साल अक्टूबर में भारत ने चीन के साथ विवादित सीमाओं पर सेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने के लिए लगभग चार अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका के साथ एक बड़े करार पर दस्तखत किए थे।
सूत्रों के मुताबिक, प्रीडेटर ड्रोन की आपूर्ति जनवरी 2029 में शुरू होगी। उन्होंने बताया कि नौसेना को जहां 15 सी गार्डियन ड्रोन मिलेंगे, वहीं वायुसेना और थलसेना को आठ-आठ स्काई गार्डियन ड्रोन हासिल होंगे।
सूत्रों के अनुसार, अरबों डॉलर की दो खरीद परियोजनाओं को चालू वित्त वर्ष के अंत तक अंतिम रूप दिया जाएगा, जिनके तहत फ्रांस से राफेल जेट के 26 नौसैनिक संस्करण और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियां खरीदी जाएंगी।
उन्होंने बताया कि दोनों सौदे अंतिम चरण में हैं और इन पर 31 मार्च तक मुहर लग जाएगी।
जुलाई 2023 में रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस से 26 राफेल-एम जेट की खरीद को मंजूरी दी थी, मुख्य रूप से स्वदेशी रूप से निर्मित विमान वाहक आईएनएस विक्रांत पर तैनाती के लिए।
मंत्रालय ने फ्रांस से तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद को भी स्वीकृति दी थी।
सूत्रों ने बताया कि नौसेना मूल रूप से रूस में निर्मित आईएनएस विक्रमादित्य की जगह एक अन्य स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत शामिल किए जाने पर जोर दे रही है।
भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत (आईएसी आई) को सितंबर 2023 में नौसेना में शामिल किया गया था।
लगभग 23,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित आईएनएस विक्रांत में एक परिष्कृत वायु रक्षा नेटवर्क और जहाज-रोधी मिसाइल प्रणाली है। इस पर 30 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर की तैनाती की जा सकती है।
मौजूदा समय में भारत के पास दो विमानवाहक पोत-आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत हैं।
नौसेना आईएनएस विक्रमादित्य की जगह एक और स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत की मांग कर रही है, जिसकी सेवा अवधि 10 साल तक होने की उम्मीद है।
भाषा पारुल नरेश
नरेश
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