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मंगलवार, 24 जून, 2025
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बंगाल में चिकित्सकों की महीनेभर की हड़ताल मरीजों की जान पर भारी पड़ी

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(सुदिप्तो चौधरी)

कोलकाता, नौ सितंबर (भाषा) आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में चिकित्सक से कथित दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में न्याय की मांग को लेकर ‘जूनियर डॉक्टर’ की हड़ताल और विरोध प्रदर्शन के कारण पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं महीनेभर से अधिक समय तक बाधित हैं।

पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि चिकित्सकों के विरोध प्रदर्शन के कारण 23 लोगों की मौत हो गई।

उच्चतम न्यायालय ने विरोध प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों को मंगलवार शाम पांच बजे तक काम पर लौटने का निर्देश दिया और कहा कि कामकाज फिर से शुरू करने पर उनके खिलाफ कोई विपरीत कार्रवाई नहीं की जाएगी।

आर जी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल में महिला चिकित्सक का शव मिलने के तुरंत बाद नौ अगस्त की शाम से विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई थी।

उच्चतम न्यायालय ने 20 अगस्त को परास्नातक की पढ़ाई कर रही प्रशिक्षु चिकित्सक से कथित दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में स्वत:संज्ञान लेकर चलाए गए मामले की सुनवाई के दौरान प्रदर्शनकारी चिकित्सकों से विरोध प्रदर्शन खत्म करने का आग्रह किया था।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि चिकित्सकों की अनुपस्थिति से उन लोगों पर विपरीत असर पड़ेगा जिन्हें चिकित्सा की जरूरत है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी जूनियर डॉक्टर से ड्यूटी पर लौटने और स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन को सामान्य बनाने के लिए कहा था।

आर जी कर अस्पताल के एक जूनियर डॉक्टर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘एक महीने से ज्यादा समय बीत गया है और जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। पीड़िता को न्याय कब मिलेगा? क्या आपको लगता है कि हम लोगों के साथ अन्याय कर रहे हैं? हम काम बंद नहीं करना चाहते, लेकिन जब तक न्याय नहीं मिल जाता हम ड्यूटी पर नहीं लौटेंगे।’’

आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर ने मिलकर एक टेलीमेडिसिन सेवा ‘‘अभय क्लिनिक’’ शुरू किया है जिसके माध्यम से उन्होंने मरीजों की देखभाल शुरू कर दी है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम नहीं चाहते कि हमारे काम बंद करने से गरीब मरीजों को परेशानी हो। लेकिन हमारी मांगें स्पष्ट हैं, आप हमें न्याय दें और हम काम पर लौट आएंगे। याद रखें कि आप जितनी देरी करेंगे, हमारे आंदोलन की उग्रता बढ़ती जाएगी।’’

‘पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट’ के अनुसार, 31 अगस्त को शुरू होने के बाद से उनकी ‘वर्चुअल टेलीमेडिसिन’ सेवा के माध्यम से हजारों मरीजों का इलाज किया जा चुका है।

जूनियर डॉक्टर की अनुपस्थिति में उनके वरिष्ठ समकक्ष और प्रोफेसर बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) के साथ-साथ अन्य विभागों में मरीजों को देख रहे हैं।

जूनियर डॉक्टर कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल को हटाने की मांग कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना ​​है कि आईपीएस अधिकारी महिला चिकित्सक से बलात्कार और हत्या मामले के मद्देनजर अपना कर्तव्य निभाने में ‘विफल’ रहे।

उन्होंने कोलकाता पुलिस मुख्यालय लालबाजार तक एक रैली भी निकाली और गोयल को ज्ञापन सौंपकर उनके इस्तीफे की मांग की। जूनियर डॉक्टर ने पुलिस मुख्यालय तक अपनी रैली के दौरान हाथ में रीढ़ की हड्डी की एक प्रतिकृति लेकर खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि शीर्ष पुलिस अधिकारी के पास ये है ही नहीं।

हालांकि, राज्य स्वास्थ्य विभाग हड़ताल के कारण इलाज में देरी के चलते कथित तौर पर जान गंवाने वाले मरीजों की सटीक संख्या बताने को ‘तैयार नहीं’ है, लेकिन यह दावा किया गया है कि समाज का गरीब और हाशिए पर रहने वाला वर्ग इससे काफी प्रभावित हुआ है।

नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि मरीजों की मौत की खबरें थीं, लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जूनियर डॉक्टर द्वारा काम बंद करने के कारण हुई हैं।

भाषा

संतोष नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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