यह अक्सर कहा जाता है कि जीवन में दो स्थिरांक (constants) हैं मृत्यु और टैक्स. दिलचस्प बात यह है कि मनुष्य इन दोनों को एक जैसी प्रतिक्रिया देते हैं – पीड़ा, दर्द, आक्रोश और अक्सर गुस्सा. न तो यह कोई नई बात है और न ही जटिल.
वास्तव में यह इतना गुंथा हुआ और सरल है कि नरेंद्र मोदी सरकार को आदर्श रूप से विदेशी लेन-देन पर स्रोत पर टैक्स संग्रह (टीसीएस) में बढ़ोत्तरी पर नाराजगी के बारे में अनुमान होना चाहिए था. तथ्य यह है कि टीसीएस असली टैक्स नहीं है पर लोगों को इस बात का फर्क नहीं पड़ता है. यदि आप लोगों का पैसा कानूनी तरीके से लेने जा रहे हैं, तो अंततः उसे वापस लौटाने का कोई भी वादा उन्हें शांत नहीं करेगा.
आप बस इतना कर सकते हैं कि अपनी पॉलिसी के सबसे परेशान करने वाली बातों से पीछे हट जाएं और बाकी को कमजोर कर दें. सरकार को यही करने के लिए मजबूर किया गया है, और यही कारण है कि विदेशी लेन-देन पर टीसीएस मुद्दे पर उसका पीछे हटना दिप्रिंट का इस सप्ताह का न्यूज़ मेकर है.
संगठित समर्थक, आलोचक
यह कहानी कई महीने पहले 1 फरवरी को बजट 2023 की घोषणा के साथ शुरू हुई थी. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि शिक्षा या स्वास्थ्य देखभाल के लिए किए गए भुगतान को छोड़कर, अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन पर लागू टीसीएस की दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दी जाएगी. मंत्री ने विदेशी टूर पैकेज बुक करने के लिए किए जाने वाले भुगतान को भी इस टीसीएस के दायरे में ला दिया.
इससे पहले 7 लाख रुपये की सीमा थी जिसके तहत यह टीसीएस लागू नहीं था. बजट घोषणा के अनुसार, यह सीमा हटा दी गई थी – किसी भी राशि के विदेशी लेन-देन पर अब टीसीएस की उच्च दर लागू होगी. नई दरें 1 जुलाई 2023 (संयोग से, आज) से लागू होनी थीं.
उस समय, इसकी वजह से कोई हलचल नहीं हुई, अन्य सभी बजट कवरेज पर इसका प्रभाव पड़ा. जिस खबर ने सबका ध्यान खींचा वह 16 मई को अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड लेन-देन को टीसीएस के दायरे में लाने वाली सरकारी अधिसूचना थी, जो काफी हद तक नकारात्मक तरह की खबर बनी.
उस समय तक, विदेश यात्रा करने वाले लोगों को लगता था कि वे केवल अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके टीसीएस का भुगतान करना छोड़ सकते हैं. अचानक, इस छूट को हटाने के साथ, यह स्पष्ट हो गया कि विदेश में 20 प्रतिशत अधिक भुगतान करने का पूरा प्रभाव उस अत्यधिक मुखर समूह: भारत के आभिजात्य वर्ग पर पड़ेगा.
इस पर तत्काल शोर-शराबा मचना शुरू हो गया. खास बात है कि सरकार के आलोचकों और समर्थकों ने इस मुद्दे पर आम सहमति दिखाई.
शायद इस व्यापक आलोचना के कारण, वित्त मंत्रालय ने, कुछ ही दिनों बाद, लोगों को शांत करने के प्रयास में एक विस्तृत FAQ डॉक्युमेंट जारी किया.
कई अन्य बिंदुओं को स्पष्ट करने के अलावा, सरकार ने इस दस्तावेज़ का उपयोग यह समझाने के लिए भी किया कि उसने टीसीएस दर को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्णय क्यों लिया था और इसमें क्रेडिट कार्ड को क्यों शामिल किया गया था.
एफएक्यू दस्तावेज़ में कहा गया है, “यदि टीसीएस प्राप्तकर्ता एक करदाता है, तो वह नियमित आय के विरुद्ध अपने कर भुगतान के रूप में टीसीएस के लिए क्रेडिट का दावा कर सकता है और इसे अग्रिम कर आदि भुगतानों के अनुसार समायोजित कर सकता है.”
इसके अलावा, इसमें बताया गया कि, नई आयकर व्यवस्था के तहत, 12 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले लोगों को वैसे भी 20 प्रतिशत आयकर देना पड़ता था, और 15 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक कमाने वालों को 30 प्रतिशत का भुगतान करना पड़ता था. इसलिए, 20 प्रतिशत वापसी योग्य टीसीएस कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.
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वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उस समय दिप्रिंट को बताया था कि सरकार ने पाया है कि कई हाई नेट-वर्थ वाले व्यक्ति भारत के उन नियमों को दरकिनार करने के लिए क्रेडिट कार्ड छूट का उपयोग कर रहे थे जिसमें बताया गया कि नागरिक विदेश में कितना खर्च कर सकते हैं. सरकार इसे खत्म करने पर ध्यान दे रही थी. एफएक्यू डॉक्युमेंट में यह कहा गया.
दस्तावेज़ में कहा गया है, “विदेशी मुद्रा की निकासी के तरीकों के उपचार में एकरूपता और समानता लाने के लिए और विवेकपूर्ण विदेशी मुद्रा प्रबंधन के लिए एलआरएस के तहत कुल व्यय को कैप्चर करने और लोगों द्वारा इसे बाईपास किए जाने से रोकने के लिए डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के साथ अलग-अलग तरह से व्यवहार किए जाने को रोकना है.”
संक्षेप में कहें तो, मोदी सरकार को लगा कि अमीर लोग विदेशों में अत्यधिक मात्रा में खर्च कर रहे हैं, वह इस खर्च पर नज़र रखना चाहती थी, और उसका विचार था कि 20 प्रतिशत टीसीएस किसी भी तरह से अमीरों को प्रभावित नहीं करेगा.
यह बात तब और ज्यादा समझ में आई जब सरकार ने बाद में उसी दिन (19 मई) एक और अधिसूचना जारी की जिसमें कहा गया कि, क्रेडिट और डेबिट कार्ड लेन-देन के लिए, यह 20 प्रतिशत टीसीएस केवल तभी लागू होगा जब विदेशी लेन-देन 7 लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक हो.
इसने कुछ आलोचकों को शांत तो किया लेकिन फिर दिखाया कि सरकार वास्तव में कितनी उलझन में पड़ सकती है.
क्या हैरत में डालने वाले विचार हैं?
लगभग तुरंत ही, विदेशी मुद्रा उद्योग ने एक मुद्दा उठाया और पूछा कि यह छूट केवल डेबिट और क्रेडिट कार्डों को ही क्यों दी गई और नकदी, बैंकों के माध्यम से वायर ट्रांसफर, प्रीपेड फॉरेक्स कार्ड और “आम लोगों” द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले अन्य अंतरराष्ट्रीय भुगतान विकल्पों को बाहर क्यों रखा गया.
शायद यह महसूस करते हुए कि किसी प्रकार की फायर-फाइटिंग की ज़रूरत है, वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने उद्योग जगत के नेताओं से कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी कि व्यवसायियों को कैश-फ्लो की समस्या का सामना न करना पड़े. यह स्पष्ट नहीं था कि इसे अंकित मूल्य पर लिया गया था या नहीं. व्यवसायी और आयकर विभाग ऐतिहासिक रूप से सबसे अच्छे दोस्त नहीं रहे हैं.
एक और मुद्दा जो हाल ही में सामने आया है वह यह है कि बैंकों के पास वास्तव में यह जांचने का कोई तरीका नहीं है कि आप विदेश में कितना खर्च करते हैं. इसका मतलब यह है कि यह जांचने का कोई तरीका नहीं है कि 7 लाख रुपये की सीमा पार हो गई है या नहीं. चाहे आपने विदेश में कितना भी खर्च किया हो, बैंक 20 प्रतिशत टीसीएस लगाने के लिए पूरी तरह तैयार थे.
जैसा कि किसी भी कर के मामले में होता है, जल्द ही इससे बचने के कई (पूरी तरह से कानूनी) तरीके भी सामने आए. समय सीमा नजदीक आ रही थी, और पर्यटकों, व्यापारियों, बैंकों, मनी-चेंजर्स और विदेश यात्रा से जुड़े लगभग सभी लोगों के बीच घबराहट बढ़ रही थी.
इस सप्ताह तेजी से आगे बढ़ें. 28 जून को, समय सीमा से कुछ दिन पहले, सरकार ने टीसीएस प्रणाली में “महत्वपूर्ण बदलाव” की घोषणा की.
सबसे पहले, इसने कहा कि क्रेडिट कार्ड पर 20 प्रतिशत टीसीएस नहीं लगेगा. हालांकि, यह इसमें भी सरलता नहीं थी. यदि आप विदेश में अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं, तो कोई टीसीएस नहीं कटेगा. लेकिन अगर आप भारत में रहते हुए अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खर्च करते हैं, तो 7 लाख रुपये से अधिक के खर्च पर 20 प्रतिशत टीसीएस लागू होगा.
तो, यह मई की अधिसूचना पूर्ववत है और साथ ही साथ इसे और अधिक जटिल बना दिया गया है. बहुत बढ़िया.
सरकार ने यह भी कहा कि वह 7 लाख रुपये की सीमा फिर से लागू कर रही है जिसके तहत भुगतान के अन्य सभी तरीकों पर कोई टीसीएस लागू नहीं होगा. दुर्भाग्य से, 20 प्रतिशत की दर जारी रहेगी. यह केंद्रीय बजट की घोषणा को कमजोर कर दिया गया है. बहुत अच्छा.
विदेशी टूर पैकेजों के संबंध में, यह पॉलिसी एक और कदम आगे बढ़कर भ्रमित करती हुई दिखती है. यदि आप विदेशी टूर पैकेज पर 7 लाख रुपये से कम खर्च करते हैं, तो आप पर 5 प्रतिशत का टीसीएस लगेगा. 7 लाख रुपये से ऊपर, और आपको 20 प्रतिशत टीसीएस का भुगतान करना होगा. संभवतः, 7 लाख रुपये के आंकड़े पर 15 प्रतिशत अंक की छलांग किसी तरह विदेशी खर्च पर नज़र रखने की सरकार की क्षमता को बढ़ाती है. अतार्किक होने पर भी सरकार तब नहीं रुकी तो इसे अब क्यों शुरू करना चाहिए?
ये सभी नए बदलाव अब शुरुआती समय सीमा के तीन महीने बाद 1 अक्टूबर 2023 से लागू होने वाले हैं. यह तीन महीने और उलझाने व भ्रमित करने के लिए हैं.
(व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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