महाकुंभ नगर, पांच फरवरी (भाषा) प्रयागराज महाकुंभ में बुधवार को दुनिया के कई देशों के भंते, लामा और बौद्ध भिक्षुओं एवं सनातन के धर्माचार्यों की उपस्थिति में सनातन बौद्ध एकता का संदेश दिया गया।
बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघम् शरणम गच्छामि के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से बुधवार को बौद्ध भिक्षुओं ने शोभायात्रा निकाली। यात्रा का समापन जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि के प्रभु प्रेमी शिविर में हुआ।
इस अवसर पर महाकुंभ में तीन प्रमुख प्रस्ताव पारित किये गये। पहले प्रस्ताव में बांग्लादेश, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बंद करने की मांग की गयी है। दूसरे में तिब्बत को स्वायत्तता देने की मांग है। तीसरे प्रस्ताव का संबंध सनातन एवं बौद्ध की एकता से है।
प्रभु प्रेमी शिविर में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ से संगम समागम एवं समन्वय का संदेश पूरी दुनिया में जाना चाहिए।
उन्होंने कहा ,‘‘कुंभ का तीन शब्दों से संबंध है। जो भी यहां आता है उसकी संगम में स्नान की इच्छा होती है। यहां गंगा जमुना एवं सरस्वती मिल जाती हैं तो भेद दिखाई नहीं देता। यहां संगम के पूर्व अलग-अलग धाराएं हैं। संगम का संदेश है कि यहां से आगे एक धारा चलेगी। ’’
भैय्याजी जोशी ने कहा कि देश के विविध प्रकार के मत-मतांतर के सभी श्रेष्ठ संत यहां आकर आपस में मिलकर संवाद एवं चर्चा करते हैं।
उनका कहना था कि संत एक साथ आयेंगे तो सामान्य लोग भी एक साथ मिलकर चलेंगे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए निर्वासित तिब्बत की रक्षामंत्री गैरी डोलमाहम ने कहा कि सनातन एवं बौद्ध धर्म के बीच जिस तरह की प्रेम भावना, नजदीकी होनी चाहिए उसकी तरफ बहुत बड़ा कदम इस पावन धरती पर लिया गया है।
म्यांमार से आये भदंत नाग वंशा ने कहा, “मैं पहली बार महाकुंभ में आया हूं। बौद्ध एवं सनातन में बहुत ही समानताएं हैं। हम लोग विश्व शांति के लिए काम करते हैं। हम भारत और यहां के लोगों को खुश देखना चाहते हैं। भारत सरकार बौद्ध धर्म का काम करने में सहयोग करती है। हम लोग मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री का आभार जताते हैं।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार ने कहा ,‘‘ सनातन ही बुद्ध है। बुद्ध ही शास्वत एवं सत्य है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था भारत के पास युद्ध नहीं, बुद्ध है। हम एक रहेंगे तो एक नया भारत एवं एक नया विश्व उभकर सामने आये जो युद्धमुक्त, छुआछूत मुक्त, गरीबी मुक्त होगा।
शोभायात्रा में भंते बुद्ध प्रिय विश्व, भंते राजकुमार श्रावस्ती, भंते अवश्वजीत प्रतापगढ़, भिक्षुणी सुमेन्ता, भंते अनुरूद्ध कानपुर, भंते संघप्रिय रीवा मध्यप्रदेश, भंते बोधि रक्षित, भंते धम्म दीप औरैया, भंते बोधि रतन मैनपुरी व भंते संघ रतन शामिल रहे।
इस कार्यक्रम को आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक रमेश, धर्म संस्कृति संगम के राष्ट्रीय महासचिव राजेश लाम्बा एवं उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अरुण सिंह बौद्ध प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
भाषा राजेंद्र राजकुमार
राजकुमार
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