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अशोकनगर (मप्र), 11 अप्रैल (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को अपने और पराए की मानसिकता को दुनिया के कई हिस्सों में जारी युद्ध और संघर्ष की जड़ करार दिया और कहा कि इसका समाधान अद्वैत के विचार में निहित है।
मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के ईसागढ़ तहसील स्थित आनंदपुर धाम के गुरु जी महाराज मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि गरीब और वंचित के उत्थान का संकल्प और ‘सबका साथ, सबका विकास’ का मंत्र ही भारत सरकार की नीति और निष्ठा है।
उन्होंने कहा कि दुनिया में भौतिक उन्नति के बीच मानवता के लिए आज युद्ध, संघर्ष और मानवीय मूल्य से जुड़ी कई बड़ी चिंताएं भी सामने हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इन चिंताओं और इन चुनौतियों की जड़ में है अपने और पराए की मानसिकता। वह मानसिकता, जो मानव को मानव से दूर करती है। आज विश्व भी सोच रहा है इनका समाधान कहां मिलेगा? इनका समाधान मिलेगा, अद्वैत के विचार में।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अद्वैत यानी जहां कोई द्वैत नहीं है। यानी जीव मात्र में एक ही ईश्वर को देखने का विचार। इससे भी आगे संपूर्ण सृष्टि को ईश्वर का स्वरूप देखने की सोच ही अद्वैत है। इसी सिद्धांत को… जो तू है, सो मैं हूं। इतनी सुंदर बात है। ये विचार मेरे और तुम्हारे का भेद खत्म कर देता है। और यह विचार सब मान लें तो सारे झगड़े ही खत्म हो जाएं।’’
प्रधानमंत्री ने भारत को ऋषियों, मनीषियों और संतों की धरती करार दिया और कहा कि जब-जब हमारा भारत, हमारा समाज किसी मुश्किल दौर से गुजरता है तो कोई न कोई ऋषि या मनीषी इस धरती पर अवतरित होकर समाज को नयी दिशा देता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम पूज्य स्वामी अद्वैतानन्द महाराज के जीवन में भी इसकी झलक देख सकते हैं। एक समय था, जब आदि शंकराचार्य जैसे आचार्यों ने अद्वैत दर्शन के गहरे ज्ञान की व्यख्या की थी। इसी परंपरा में पूज्य अद्वैतानन्द जी महाराज ने भारत के जन सामान्य तक इसे पहुंचाने का बीड़ा उठाया। महाराज जी ने अद्वैत के ज्ञान को हम सभी के लिए और सरल बनाया, उसे सामान्य जन के लिए और सुलभ कर दिया।’’
जिले के ईसागढ़ तहसील के आनंदपुर गांव में स्थित यह धाम परमहंस अद्वैतानन्द महाराज का समाधि स्थल और अद्वैत मठ का मुख्य आश्रम है। यह अशोकनगर जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर और भोपाल से करीब 215 किलोमीटर दूर है।
मोदी ने कहा, ‘‘आनंदपुर धाम लोगों को मुफ्त इलाज मुहैया करा रहा है, यहां आधुनिक गोशाला है, नई पीढ़ी के लिए स्कूल हैं और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में यह सक्रिय है। सेवा की यह भावना सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज गरीब व्यक्ति भोजन की चिंता से मुक्त है, आयुष्मान योजना के कारण इलाज, जल जीवन मिशन के तहत पानी और पीएम आवास योजना के तहत घर आदि मिल रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘गरीब और वंचित के उत्थान का संकल्प…‘सबका साथ, सबका विकास’ का मंत्र… सेवा की ये भावना…आज सरकार की नीति भी है और निष्ठा भी है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के कई देश विकास यात्रा में अपनी संस्कृति से कट गए हैं और उन्होंने अपनी परंपराएं भुला दी हैं।
भारत में अपनी पुरातन संस्कृति को संरक्षित करके रखने पर जोर देते हुए मोदी ने कहा, ‘‘हमें ध्यान रखना है कि भारत जैसे देश में हमारी संस्कृति केवल हमारी पहचान से ही नहीं जुड़ी है। हमारी संस्कृति ही हमारे सामर्थ्य को मजबूती देती है।’’
प्रधानमंत्री ने आध्यात्मिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिए यहां स्थापित आनंदपुर धाम की सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पण की प्रशंसा की और कहा कि उनके नेतृत्व वाली केंद्र सरकार समावेशी विकास के मंत्र के साथ काम कर रही है।
मोदी ने कहा कि आनंदपुर धाम में प्रदान की जा रही सेवाएं 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के भारत के संकल्प को पूरा करने में मदद करेंगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि आनंदपुर न्यास गो रक्षा के लिए बड़ी जनसेवा कर रहा है और स्वास्थ्य तथा शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय है। आनंदपुर धाम ने पर्यावरण संरक्षण में उल्लेखनीय कार्य किया है। सेवा का यह जज्बा हमारी सरकार की योजनाओं में दिखता है।’’
इससे पहले, आनंदपुर धाम पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री ने गुरु जी महाराज मंदिर में पूजा-अर्चना की।
आनंदपुर धाम की स्थापना आध्यात्मिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिए की गई है। करीब 315 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस धाम में 500 से अधिक गायों वाली एक आधुनिक गोशाला है और श्री आनंदपुर न्यास परिसर के अंतर्गत कृषि गतिविधियां संचालित की जाती हैं।
न्यास सुखपुर गांव में चैरिटेबल अस्पताल, सुखपुर और आनंदपुर में स्कूल और देश भर में विभिन्न सत्संग केंद्रों का संचालन कर रहा है।
यह इस साल प्रधानमंत्री मोदी का मध्यप्रदेश का दूसरा दौरा है। इससे पहले उन्होंने 23 फरवरी को छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम का दौरा किया था और अगले दिन राज्य की राजधानी भोपाल में ‘ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट’ का उद्घाटन किया था।
भाषा ब्रजेन्द्र खारी
खारी
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