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Thursday, 23 October, 2025
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सोशल मीडिया पर अपनी वारदातों का प्रचार करते थे मुठभेड़ में मारे गए ‘सिग्मा एंड कंपनी’ गिरोह के सदस्य

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(सौम्या शुक्ला)

नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) बुधवार रात यहां पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए स्वयंभू ‘सिग्मा एंड कंपनी’ गिरोह के चार सदस्यों ने न केवल सोशल मीडिया पर अपनी हत्या की वारदातों का प्रचार किया था, बल्कि स्थानीय पत्रकारों को पर्चे भी वितरित किए थे, जिसमें वे अपने कार्यों को उचित ठहराते थे और लोगों को ‘मृत्युदंड’ देने का दावा करते थे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

पुलिस ने बताया कि आरोपियों की पहचान गिरोह के सरगना रंजन पाठक (25), बिमलेश महतो उर्फ ​​बिमलेश सहनी (25), मनीष पाठक (33) और अमन ठाकुर (21) के रूप में हुई है, जिन्हें बुधवार-बृहस्पतिवार की रात रोहिणी में दिल्ली पुलिस अपराध शाखा और बिहार पुलिस की संयुक्त टीम ने मुठभेड़ में मार गिराया।

अधिकारियों ने बताया कि रंजन पर बिहार पुलिस ने 50,000 रुपये का नकद इनाम घोषित किया था और उसे ‘खूंखार अपराधी’ बताया गया था। पिछले तीन महीनों में कम से कम पांच आपराधिक मामलों से उसके तार जुड़े थे, जिनमें 26 सितंबर को बिहार के सीतामढ़ी जिले में ब्रह्मर्षि सेना के पूर्व जिला प्रमुख राम मनोहर शर्मा उर्फ ​​गणेश शर्मा (40) की सनसनीखेज हत्या भी शामिल है।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि शर्मा की हत्या के बाद, गिरोह ने सोशल मीडिया पर एक ‘नोट’ जारी किया और उसे स्थानीय पत्रकारों के बीच प्रसारित किया।

बड़े अक्षरों में लिखे इस नोट पर शीर्षक में सिग्मा एंड कंपनी का नाम ‘न्याय, सेवा, सहयोग’ की टैगलाइन के साथ लिखा था।

गिरोह ने इसमें शर्मा के आठ कथित ‘अपराध’ लिख रखे थे, जिनमें उन्हें ‘‘विश्वासघाती, गद्दार, तानाशाह, बेईमान तस्कर, चरित्रहीन, महापापी और दबंग’’ करार दिया गया था।

गिरोह ने दावा किया कि हत्या के पीछे ‘कई अन्य कारण’ थे जिनका वे खुलासा नहीं कर सकते और उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई किसी जाति या समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों और अधिकारियों द्वारा गरीबों और कमजोरों के उत्पीड़न के खिलाफ है।

गिरोह ने कहा कि इस तरह के कथित अपराधों की सजा मौत है। उसने अपने संदेश में चार बातें लिखीं, जिनमें यह दावा भी शामिल था कि भ्रष्ट अधिकारियों ने उनका जीना दुश्वार कर दिया है और एक पंक्ति में कहा गया था कि ‘‘जो लोग आशीर्वाद के रूप में 11 रुपये देंगे, उन्हें बदले में 111 रुपये मिलेंगे।’’

अधिकारी ने कहा कि ‘नोट’ के अंत में गिरोह संस्थापक भारती कपूर झा का नाम था जिसके बाद रंजन पाठक और अन्य सदस्यों के नाम लिखे थे।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, गिरोह बिहार में गिरफ्तारी से बच रहा था और उसने दिल्ली में शरण ले रखी थी। पकड़े जाने से बचने के लिए उनके फोन में सिम कार्ड नहीं थे और वे सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से इंटरनेट कॉल करने के लिए आसपास के लोगों के वाईफाई हॉटस्पॉट का इस्तेमाल करते थे।

पुलिस ने कहा कि इस तरह की चाल से वे कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और परंपरागत मोबाइल ट्रैकिंग पद्धति के आधार पर पकड़ में नहीं आ सके।

जांचकर्ताओं ने बताया कि यह गिरोह कई हत्याओं और जबरन वसूली के मामलों में शामिल था तथा गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और रोहित गोदारा की तरह सोशल मीडिया पर कुख्यात होना चाहता था।

भाषा वैभव नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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