(आमिर खान)
नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (भाषा) मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अदालत में भारत की ओर से प्रक्रिया का नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन दिल्ली में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की ओर से अभियोजन का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं।
छब्बीस नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी के करीबी सहयोगी राणा पर प्रत्यर्पण के बाद भारत में मुकदमा चलेगा।
अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने 4 अप्रैल को भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ राणा की समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी।
कृष्णन 2010 से प्रत्यर्पण कार्यवाही से जुड़े रहे हैं। उन्हें विशेष अभियोजक नरेन्द्र मान से सहायता मिलेगी, जो आपराधिक मामलों के अनुभवी वकील हैं।
ऐसा कहा जा रहा है कि अभियोजन टीम में एनआईए के वकील के अलावा अधिवक्ता संजीवी शेषाद्रि और श्रीधर काले भी शामिल होंगे।
प्रत्यर्पण मामले में महत्वपूर्ण मोड़ मई 2023 में आया। राणा का मुकदमा 2018 में शुरू हुआ था।
कार्यवाही से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘‘उसके प्रत्यर्पण का सबसे महत्वपूर्ण फैसला 16 मई, 2023 को आया, जो कैलिफोर्निया मध्य जिले की अमेरिकी जिला अदालत के मजिस्ट्रेट न्यायाधीश द्वारा दिया गया पहला फैसला था।’’
मजिस्ट्रेट अदालत ने प्रत्यर्पण की अनुमति देते हुए कृष्णन की दलील की पुष्टि की। उन्होंने तर्क दिया कि राणा के मामले में दोहरी सजा जैसा कुछ नहीं है।
सूत्र ने बताया कि कार्यवाही के दौरान कृष्णन और राणा के वकील पॉल गार्लिक क्यूसी के बीच जोरदार कानूनी लड़ाई देखने को मिली।
अमेरिकी न्याय विभाग के साथ भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले कृष्णन की दलीलें अदालत द्वारा स्वीकार कर ली गईं।
भारत सरकार के लिए दूसरा महत्वपूर्ण मील का पत्थर तब आया जब 10 अगस्त, 2023 को राणा की अपील को अमेरिकी जिला न्यायाधीश ने खारिज कर दिया।
सूत्र ने बताया कि अपनी अपील खारिज होने के बाद राणा ने 9वें सर्किट अमेरिकी अपील न्यायालय का रुख किया, लेकिन उसे एक और झटका लगा, क्योंकि 15 अगस्त 2024 को उसकी याचिका खारिज कर दी गई।
पाकिस्तान में जन्मे कनाडाई नागरिक 64 वर्षीय राणा ने इसके बाद अमेरिका के उच्चतम न्यायालय का रुख किया, जिसने 21 जनवरी, 2025 को उसे कोई राहत देने से इनकार कर दिया।
सूत्र ने बताया कि अंतत: 4 अप्रैल को अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने राणा द्वारा दायर समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया, जिससे उसका अंतिम प्रयास विफल होने के साथ ही उसके प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया।
छब्बीस नवंबर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों के एक समूह ने समुद्री मार्ग से भारत की वित्तीय राजधानी में घुसने के बाद मुंबई के सीएसटी, दो आलीशान होटलों और एक यहूदी केंद्र पर समन्वित हमला किया। तीन दिन तक चले इस आतंकी हमले में 166 लोग मारे गए थे।
भाषा
नेत्रपाल मनीषा
मनीषा
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