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Friday, 22 November, 2024
होमदेशगलवान से पहले 1975 में अरुणाचल में एलएसी पर चीन के साथ संघर्ष में भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी

गलवान से पहले 1975 में अरुणाचल में एलएसी पर चीन के साथ संघर्ष में भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी

चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में भारतीय क्षेत्र में घुसकर असम राइफल्स के जवानों पर घात लगाकर हमला किया था , जिसमें से चार जवान मारे गए थे.

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नई दिल्ली: गलवान घाटी में सोमवार रात चीनी सैनिकों के साथ ‘हिंसक आमना-सामना’ के बाद हुई कार्रवाई में तीन भारतीय सैनिक मारे गए, यह लगभग 45 वर्षों में भारत-चीन सीमा पर हिंसक संघर्ष का पहला उदाहरण है.

दोनों पक्षों के बीच पिछले चार दशकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ कई गतिरोध हुए हैं, वहीं पिछली बार 1975 में चीन के साथ सीमा विवाद के कारण भारतीय सैनिकों ने अपनी जान गंवाई थी.

उस समय चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया और असम राइफल्स के जवानों पर घात लगाकर हमला कर दिया, जिसमें चार सैनिक मारे गए.

जब भी भारत-चीन सीमा संघर्ष पर चर्चा होती है, सिक्किम के 1967 का गतिरोध याद आ जाता है, जो कुछ अनुमानों के अनुसार 80 भारतीय और कई चीनी सैनिकों की मौत का कारण बना, जब पहली बार हिंसक संघर्ष हुआ था. लेकिन गलवान गतिरोध से पहले, चीनी बलों द्वारा 1975 के घात लगाकर किया गया, हमला अंतिम उदाहरण है, जब भारतीय सैनिकों की एलएसी में मृत्यु हो गई थी.

पूर्व भारतीय विदेश सचिव और चीन में राजदूत निरुपमा राव ने द हिंदू को बताया, ‘हम अक्सर 1967 को याद करते हैं, लेकिन यह कहना कि यह अंतिम गोलीबारी थी और आठ साल बाद जो भी हुआ वह एक हादसा था तथ्यों से मेल नहीं खाता है. यह एक सादा और सरल घात था जिसमें हमारे चार लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी.

1975 के अरुणाचल घात के तीन संस्करण

1967 की झड़पों के विपरीत, अरुणाचल में 1975 में हुए घात का अपेक्षाकृत दस्तावेजीकरण नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे स्रोत हैं, जो पारदर्शी हो सकते हैं, इस पर प्रकाश डालते हैं.

बोस्टन के चीन-भारत संबंधों के शोधकर्ता सौरभ वशिष्ठ के अनुसार, 1975 के एपिसोड के अनिवार्य रूप से तीन संस्करण हैं.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया एक भारतीय संस्करण है, एक चीनी संस्करण है और अमेरिकी राज्य विभाग के केबल में विस्तार से उल्लेख किया गया था.

आधिकारिक तौर पर, भारत ने 20 अक्टूबर 1975 को दावा किया कि चीनी सेनाएं तुलुंग ला के दक्षिण में भारतीय क्षेत्र में घुस आईं और असम राइफल्स के जवानों पर हमला कर दिया. चीनियों ने उन पर गोलीबारी भी की, जिसके परिणामस्वरूप चार सैनिकों की मौतें हुई.

भारत सरकार के एक अधिकारी ने द न्यू यॉर्क टाइम्स को उस समय बताया था कि भारतीय क्षेत्र के भीतर घात लगाया गया था, जहां कई वर्षों से हमारे द्वारा नियमित रूप से गश्त किया जाता था. अधिकारी ने यह भी कहा कि भारत ने चीनी सरकार का ‘जोरदार विरोध’ दर्ज किया था.

न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी अरुणाचल प्रदेश में घात का भारतीय संस्करण | विशेष व्यवस्था द्वारा

हालांकि, चीन ने 3 नवंबर को पुष्टि की कि 20 अक्टूबर को सीमा पर हुई घटना में चार भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी, लेकिन फ्रांस के समाचार पत्र ला मोंडे के अनुसार, इसकी जिम्मेदारी भारत पर थोप दी गई.

चीनी संस्करण के अनुसार, इसने केवल ‘आत्मरक्षा’ में भारतीय सैनिकों पर गोली चलाई थी. चीन के विदेश मंत्रालय ने दावा किया था कि भारतीय सैनिकों के एक समूह को ‘नियंत्रण रेखा पार करने’ और चीन के सिविलियन पोस्ट पर कर्मियों को गोली मारने की कोशिश की थी.

‘मंत्रालय ने 22 अक्टूबर को बीजिंग में भारत के प्रभारी डॅाफ़ेयर को विरोध पत्र जारी किया,और उसे सूचित किया कि ‘आत्मरक्षा प्रतिक्रिया’ के दौरान स्टेशन कर्मियों ने चार भारतीय सैनिकों को मार दिया था, लेकिन चीनी पक्ष किसी भी समय भारतीय पक्ष को मारे गए सैनिकों के शवों को वापस करने को तैयार था.’ 1975 की चीनी संस्करण की रूपरेखा के बारे में ला मोंडे रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है.

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट केबल ने भारतीय संस्करण का समर्थन किया

1975 के घात का तीसरा संस्करण यूएस स्टेट डिपार्टमेंट केबल से आया है, जिसे विकिलीक्स ने सार्वजनिक किया था. यह भारतीय संस्करण का समर्थन कर रहा था.

1975 के केबल के अनुसार एलएसी के भारतीय पक्ष में ‘तुलुंग ला से 500 मीटर दक्षिण’ में चीनी घात लगाकर घुस गए थे. केबल ने एक वरिष्ठ भारतीय सैन्य अधिकारी के हवाले से कहा कि चीनी ने दावा किया है कि एक कंपनी को दर्रे पर स्थानांतरित कर दिया और एक प्लाटून को अलग कर दिया, जिसने भारत की तरफ दर्रे पर पत्थर की दीवारें खड़ी कर दीं और चीनी दल ने भारतीय गश्त पर गोलियां चलाईं.

भारतीय गश्ती दल के छह जवान थे – उनमें से चार आगे बढ़े और शेष दो भारतीय अधिकारी के अनुसार वापस आ गए और भाग गए. चीनी गोलाबारी के दौरान आगे जाने वाले चार जवान शहीद हो गए.

बोस्टन के वरिष्ठ शोधकर्ता ने बताया कि ‘यूएस स्टेट डिपार्टमेंट केबल भारतीय दावों का समर्थन करता है, साथ ही अधिक विवरण देता है. भारत में कुछ लोगों ने बाद के वर्षों में दावा किया कि कोहरे में सेना खो गई थी और हो सकता है कि पार हो गई हो. हालांकि, यूएस राज्य विभाग केबल उस दावे का समर्थन नहीं करता है. यह स्पष्ट रूप से बताता है कि एक चीनी कंपनी दर्रे के दक्षिण में चली गई थी.

1975 में सिक्किम भारत का हिस्सा बन गया था और उस समय भारत और चीन के बीच तनाव काफी अधिक था, क्योंकि चीन ने सिक्किम को भारत में एक आनेक्सेशन के रूप में शामिल होते हुए देखा था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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2 टिप्पणी

  1. Char jwan maare nhi gye th apne Desh k liye Shaheed huye th

    Or abi jo jwan saheed huye h wo maare nhi gye saheed huye h

    Behave your language

  2. Char jwan maare nhi gye th apne Desh k liye Shaheed huye th

    Or abi jo jwan saheed huye h wo maare nhi gye saheed huye h

    Behave your language ok

    Kaise Insan ho tum jo iss Desh ka khate ho bt iss Desh ki izzat krna tk nhi aata tumko

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