नयी दिल्ली, 21 फरवरी (भाषा) फ्रांस ने सोमवार को कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां यवेस ली द्रियां के बीच बातचीत के दौरान यूक्रेन की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के लिये रूस के साथ सघन बातचीत को रेखांकित किया गया ।
जयशंकर रविवार को फ्रांस पहुंचे, जब वहां के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ यूक्रेन संकट को समाप्त करने के लिये टेलीफोन पर लम्बी वार्ता हुई । यह बातचीत ऐसे समय हुई है, जब रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले की आशंका व्यक्त की जा रही है।
फ्रांस के विदेश मंत्री द्रियां के साथ जयशंकर की बातचीत के एक दिन बाद फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि इन्होंने यूक्रेन की स्थिति सहित क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की ।
फ्रांस के विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘‘ मंत्रियों ने क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें यूक्रेन की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के लिये रूस के साथ सघन बातचीत का विषय तथा ईरान द्वारा संयुक्त समग्र कार्य योजना लागू करने का मुद्दा शामिल है। ’’
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों मंत्रियों ने अफगानिस्तान, ईरान परमाणु करार तथा यूक्रेन की स्थिति के बारे में चर्चा की ।
इसमें कहा गया है कि दोनों नेताओं ने बहुपक्षीयता के सिद्धांतों तथा कानून आधारित व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की तथा साझा चिंताओं के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सहयोग एवं समन्वय पर सहमति व्यक्त की ।
जयशंकर एवं फ्रांसीसी विदेश मंत्री के बीच बातचीत के बारे में फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने भारत-फ्रांस सामरिक गठजोड़ तथा रक्षा, सुरक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग को और प्रगाढ़ करने पर सहमति व्यक्त की ।
बयान में कहा गया है,‘‘ इस प्रयास के तहत दोनों पक्षों ने ‘समुद्री अर्थव्यवस्था और महासागर प्रशासन पर भारत-फ्रांस रोडमैप’ को अंगीकार किया, जिसका उद्देश्य संस्थागत, आर्थिक, ढांचागत और वैज्ञानिक सहयोग के जरिए समुद्री अर्थव्यवस्था (ब्लू इकॉनमी) के क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाना है।’’
विदेश मंत्रालय ने कहा कि लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए दोनों मंत्री खेल जैसे क्षेत्रों में सहयोग जारी रखने और उसे बढ़ाने पर सहमत हुए।
मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘भारत और फ्रांस पर्यावरण तथा तटीय एवं समुद्री जैव विविधता का सम्मान करते हुए समुद्री अर्थव्यवस्था (ब्लू इकॉनमी)को अपने-अपने समाज की प्रगति का वाहक बनाना चाहते हैं। दोनों देशों का उद्देश्य वैज्ञानिक ज्ञान और समुद्री संरक्षण में योगदान देना तथा यह सुनिश्चित करना है कि समुद्र स्वतंत्रता और व्यापार का स्थान बने, जो कानून पर आधारित हो।’’
भाषा दीपक नोमान दिलीप
दिलीप
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