नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि अब अपराध सीमा रहित हो गया है और यह राज्य एवं देश की सीमाओं को भी लांघने का प्रयास कर रहा है, ऐसे में फॉरेंसिक विज्ञान का महत्व बहुत बढ़ गया है।
उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि कैसे (नरेन्द्र) मोदी सरकार ने फॉरेंसिक विज्ञान को आपराधिक न्याय प्रणाली का हिस्सा बना दिया।
गृह मंत्री ने यहां राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) द्वारा आयोजित अखिल भारतीय फॉरेंसिक विज्ञान शिखर सम्मेलन 2025 में कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए भी काम कर रही है कि लोगों को समय पर और उनकी संतुष्टि के अनुसार न्याय मिले।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार आपराधिक न्याय प्रणाली को जन-केंद्रित और वैज्ञानिक बनाने का प्रयास कर रही है। इसके साथ ही सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि न्याय मांगने वाले व्यक्ति को समय पर न्याय मिले और उसे न्याय मिलने की संतुष्टि भी मिले।’’
गृहमंत्री ने कहा कि देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को मजबूत करने के लिए फॉरेंसिक विज्ञान बहुत उपयोगी है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी की दृष्टि ने इस देश की आपराधिक न्याय प्रणाली के परिदृश्य को बदलने का काम किया है। ऐसी व्यवस्था बनाई गई है कि जिस पर आरोप है, उसके साथ अन्याय न हो और जो फरियादी है, उसके साथ बिल्कुल भी अन्याय नहीं हो।’’
शाह ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन विशेषज्ञों को एक मंच पर लाने, नीतियों पर चर्चा करने, भविष्य की रणनीति बनाने और उसे आकार देने तथा सर्वसम्मति से स्वीकार्य समाधान तलाशने में बहुत उपयोगी साबित होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘फॉरेंसिक विज्ञान के बगैर समय पर न्याय दिलवाना और दोषसिद्धि की दर बढ़ाना संभव नहीं है।’’
शाह ने कहा कि पहले अपराध किसी जिले, राज्य या देश के किसी छोटे से हिस्से में होता था, लेकिन अब सीमा रहित हो गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में फॉरेंसिक विज्ञान का महत्व बहुत बढ़ गया है।’’
गृहमंत्री ने कहा कि न तो आरोपी के साथ और न ही शिकायतकर्ता के साथ अन्याय होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो हमें फॉरेंसिक विज्ञान को आपराधिक न्याय प्रणाली का हिस्सा बनाना होगा।’’
शाह ने कहा कि 2009 और 2020 में फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की दो पहल मोदी के नेतृत्व में की गईं, पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में और फिर देश के प्रधानमंत्री के रूप में।
उन्होंने कहा कि इसने न केवल देश को प्रशिक्षित जनशक्ति प्रदान की है, बल्कि ‘‘कई क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए हमारे दरवाजे भी खोले हैं।’’
गृहमंत्री ने कहा कि नये आपराधिक कानूनों के अनुसार, सात साल तक की सजा वाले मामलों में फॉरेंसिक दल का दौरा अनिवार्य है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी एक दृष्टि के साथ काम करते हैं। नये आपराधिक कानून 2024 में आए लेकिन राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना 2020 में ही हो गई। देश के विभिन्न राज्यों में इसके सात परिसर हैं और अगले छह महीनों में नौ नये परिसर स्थापित किए जाएंगे।’’
बाबासाहेब भीम राव आंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए शाह ने कहा कि बाबासाहेब ने देश की परंपराओं और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए संविधान लिखा था ‘‘ताकि संविधान अगले 1000 वर्षों तक प्रासंगिक रहे और अप्रचलित न हो जाए।’’
गृह मंत्री ने यह भी कहा कि फॉरेंसिक विज्ञान भारत में कोई नयी चीज नहीं है, क्योंकि इसका विस्तृत विवरण चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और कौटिल्य के अर्थशास्त्र में मिलता है।
शाह ने कहा, ‘‘आचार्य कौटिल्य ने विष विज्ञान, विष की पहचान, संदिग्धों की शारीरिक भाषा और वाणी के आधार पर आरोपी की पहचान जैसे विषयों पर विश्व का मार्गदर्शन किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपराध स्थल, जांच और मुकदमा, सभी चरणों में प्रौद्योगिकी को स्वीकार किया है।’’ उन्होंने कहा कि इससे आने वाले दशक में दुनिया में सबसे अधिक दोषसिद्धि दर भारत में होगी।
शाह ने कहा कि देश में अभी दोषसिद्धि दर 54 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि पुलिस, अभियोजन और न्यायिक तंत्र के लिए समय-सीमा तय कर निर्धारित अवधि में न्याय सुनिश्चित करने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि इसके परिणाम भी मिलने लगे हैं तथा कुछ मामलों में बलात्कार के अपराधी को 23 दिन में सजा हो गई और तिहरे हत्याकांड का मामला 100 दिन के अंदर सुलझा कर दोषी को सजा दे दी गई।
भाषा सुभाष माधव
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