नयी दिल्ली, 19 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को 1990 में आतंकवादियों द्वारा मारे गए एक कवि और उनके बेटे के परिवार से संबंधित पुराने मुद्दे की ‘‘मानवीय दृष्टिकोण’’ से जांच करने और कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
राजेंद्र प्रेमी से उनके और उनके परिवार के संबंध में 15 जुलाई, 2020 को प्राप्त शिकायत या सूचना बृहस्पतिवार को आयोग के समक्ष दी गई।
आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की गई मामले की कार्यवाही के अनुसार, उनके पिता, कवि और स्वतंत्रता सेनानी सर्वानंद कौल प्रेमी और छोटे भाई की 1990 में आतंकवादियों द्वारा बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।
वर्तमान मामला पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य मानवाधिकार आयोग के खंडपीठ के फैसले पर अमल में देरी के कारण जम्मू और कश्मीर के इस प्रभावित परिवार की दुर्दशा के प्रति ‘‘राज्य सरकार के उदासीन रवैये’’ से सबंधित है।
आयोग ने कहा, ‘‘ऐसे पीड़ितों के निकटतम रिश्तेदारों को वैध अधिकारों से वंचित करना ऐसे निर्दोष व्यक्तियों के प्रति राज्य प्रशासन की संवेदनशीलता और करुणा की कमी को दर्शाता है, जिनके भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित जीवन के अधिकार का उल्लंघन किया गया था।’’
आयोग ने अपनी कार्यवाही में कहा है कि उसने शिकायतकर्ता की विभिन्न दलीलों सहित रिकॉर्ड पर मामले पर विचार किया।
उसका कहना है कि राज्य इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकता कि ‘‘जम्मू-कश्मीर एसएचआरसी के खंडपीठ के 22 फरवरी, 2012 के निर्णय के कार्यान्वयन में काफी देरी हुई है।’’
कार्यवाही के अनुसार, आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को ‘‘मानवीय दृष्टिकोण के साथ पूरे मुद्दे की जांच करने और मामले में उचित समझे जाने वाली कार्रवाई करने’’ का निर्देश दिया।
आयोग ने कहा, ‘‘अनुपालना रिपोर्ट आयोग के आधिकारिक रिकॉर्ड के लिए आठ सप्ताह की अवधि के भीतर प्रस्तुत की जाए।’’
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