प्रयागराज, 13 मई (भाषा) केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की प्रधान पीठ द्वारा प्रयागराज पीठ के मामलों को सुने जाने को गंभीरता से लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है।
न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कहा, “कैट, नयी दिल्ली की प्रधान पीठ के चेयरमैन ने सीधे नयी याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम, 1985 की धारा 25 के तहत प्रदत्त मामला स्थानांतरण अधिकार के प्रावधानों का गलत अर्थ निकाल लिया है।”
राजेश प्रताप सिंह नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने केंद्र सरकार और अन्य प्रतिवादियों को इस मामले में चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 17 जुलाई निर्धारित की।
उक्त निर्देश पारित करते हुए अदालत ने कहा, “चूंकि ये याचिकाएं कैट दिल्ली की प्रधान पीठ द्वारा सुनी गईं, इसको लेकर प्रयागराज में अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे क्योंकि उनकी शिकायत है कि सभी याचिकाओं पर नयी दिल्ली की प्रधान पीठ द्वारा इस आधार पर सुनवाई की जा रही है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आने वाले जिले नयी दिल्ली के करीब हैं।”
अदालत ने कहा, “मेरे विचार से, प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम 1985 की धारा 25 जैसे प्रावधान करने का उद्देश्य ऐसा नहीं रहा होगा। यह नियमित आधार पर धारा 25 का उपयोग कर किसी और का अधिकार क्षेत्र हासिल करने जैसा है।”
भाषा सं राजेंद्र संतोष
संतोष
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