लखनऊ, छह जून (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को आदेश दिया कि राज्य सरकार श्रावस्ती जिले के दो दर्जन से अधिक मदरसों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी। साथ ही राज्य सरकार को आगाह किया कि वह अदालत का रुख करने वाले किसी भी मदरसे को ध्वस्त नहीं करेगी।
पीठ ने राज्य सरकार से तीन जुलाई तक रिट याचिकाओं के खिलाफ अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की एकल पीठ ने मदरसा मोइनुल इस्लाम कस्मिया समेत दो दर्जन से अधिक मदरसों की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर पारित किया है। ये सभी मदरसे श्रावस्ती जिले में हैं।
न्यायमूर्ति सिंह ने आदेश में कहा, ‘यह अब समान रूप से स्थापित हो चुका है कि जहां भी ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया जाता है, उसे पर्याप्त विशिष्टता के साथ जारी किया जाना चाहिए ताकि नोटिस प्राप्तकर्ता विशिष्ट रूप से जवाब दे सके और यह जान सके कि किस आरोप का जवाब दिया जाना है।’
पीठ ने 14 मई, 2025 को एक अन्य मदरसा- मकतब अनवारुल उलूम, श्रावस्ती के संबंध में दायर याचिका स्वीकार करते हुए इसी तरह का आदेश पारित किया था। राज्य सरकार ने याचिकाकर्ताओं को मदरसों में धार्मिक शिक्षा देने से रोकने के लिए नोटिस जारी किए थे। विभिन्न याचिकाएं दायर कर याचिकाकर्ता मदरसों ने नोटिसों पर सवाल उठाए थे।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ताओं नृपेंद्र सिंह, अविरल राज सिंह व अली मोइद और मोहम्मद यासिर ने दलील दी कि उन सभी को एक मई 2025 व उसके आसपास की तारीखों पर नोटिस जारी करते हुए, धार्मिक शिक्षा न देने की बात कही गई थी। इसमें दलील दी गई कि उक्त नोटिस पर बिना पर्याप्त समय दिए याचिकाकर्ता मदरसों को धार्मिक शिक्षा न देने का आदेश पारित कर दिया गया।
मामले में राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता उपेंद्र सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए विस्तृत हलफनामा देने के लिए दो सप्ताह का समय दिए जाने का अदालत से अनुरोध किया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया, साथ ही याचिकाकर्ता मदरसों के विरुद्ध किसी भी प्रकार के प्रशासनिक अथवा ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर अग्रिम सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी।
भाषा सं आनन्द सुरेश
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