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Saturday, 5 October, 2024
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अंटार्कटिका में तेजी से बढ़ रहा ‘हरित’ क्षेत्र, हाल के वर्षों में 30 फीसदी तक बढ़ा दायराः अध्ययन

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नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर (भाषा) अंटार्कटिका में अप्रत्याशित रूप से ‘हरित’ क्षेत्र बढ़ रहा है और पिछले तीन दशकों की तुलना में हाल के वर्षों में इसमें 30 फीसदी की वृद्धि हुई है। एक नये अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।

अध्ययनकर्ताओं ने पाया है कि अंटार्कटिका प्रायद्वीप में वर्ष 1986 से 2021 के बीच वनस्पतिकीय क्षेत्र में 10 गुना वृद्धि हुई है। यह एक वर्ग किलोमीटर से भी कम क्षेत्र से बढ़कर लगभग 12 वर्ग किलोमीटर हो गया है।

अध्ययनकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के तहत अंटार्कटिक प्रायद्वीप में ‘हरितक्षेत्र’ की दर का अनुमान लगाने के लिए उपग्रह डेटा का उपयोग किया। इन अध्ययनकर्ताओं में ब्रिटेन के एक्सेटर विश्वविद्यालय के शोधकर्ता भी शामिल हैं।

यह अध्ययन ‘नेचर जियोसाइंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ। इसमें अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि वनस्पतिकीय क्षेत्र (2016-2021) में परिवर्तन की दर में यह हालिया तेजी इसी अवधि में अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ के विस्तार में उल्लेखनीय कमी के साथ मेल खाती है।

उन्होंने कहा कि अध्ययन से यह साक्ष्य मिलता है कि अंटार्कटिक प्रायद्वीप में ‘हरित क्षेत्र’ की व्यापक प्रवृत्ति है और इसमें तेजी आ रही है।

यह पाया गया है कि अंटार्कटिक वैश्विक औसत की तुलना में अधिक तेजी से गर्म हो रहा है तथा वहां अत्यधिक गर्मी की घटनाएं आम होती जा रही हैं।

अध्ययन में शामिल एक्सेटर विश्वविद्यालय के थॉमस रोलैंड ने कहा कि अंटार्कटिक प्रायद्वीप पर पाए जाने वाले पौधे (जिनमें ज्यादातर काई हैं) संभवतः पृथ्वी पर सबसे कठिन परिस्थितियों में उगते हैं।

रोलैंड ने कहा कि यद्यपि अभी भी बर्फ और हिम चट्टानों से भरे हुए इस स्थान के केवल एक छोटे से भाग में वनस्पतियां उग रही हैं, लेकिन यह छोटा सा भाग अप्रत्याशित रूप से विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि यह विशाल और पृथक ‘जंगल’ भी मानव-जनित जलवायु परिवर्तन से प्रभावित है।

रोलैंड ने कहा, ‘अंटार्कटिका को बचाने के लिए हमें इन परिवर्तनों को समझना होगा तथा यह पता लगाना होगा कि इनके कारण क्या हैं।’

भाषा

शुभम पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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