नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) विपक्ष ने अगली जनगणना में जातिगत गणना कराए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को ‘इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इन्क्लूसिव अलांयस’ (इंडिया) की जीत करार देते हुए बुधवार को कहा कि सरकार विपक्षी दलों तथा जनता के दबाव में यह निर्णय लेने की बाध्य हुई।
सरकार ने बुधवार को फैसला किया कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को ‘‘पारदर्शी’’ तरीके से शामिल किया जाएगा।
राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा लिए गए निर्णयों की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकारक्षेत्र में आती है लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना की है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन के प्रस्ताव के कुछ अंश साझा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘सामाजिक न्याय को लेकर यह बात कांग्रेस के हालिया प्रस्ताव में कही गई थी, जो 9 अप्रैल 2025 को अहमदाबाद में पारित हुआ था। देर आए, दुरुस्त आए।’’
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार का फैसला ‘इंडिया’ गठबंधन की जीत है क्योंकि विपक्ष के दबाव में आकर भाजपा यह निर्णय लेने को बाध्य हुई।
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘जाति जनगणना का फ़ैसला 90 प्रतिशत पीडीए की एकजुटता की 100 प्रतिशत जीत है। हम सबके सम्मिलित दबाव से भाजपा सरकार मजबूरन ये निर्णय लेने को बाध्य हुई है। सामाजिक न्याय की लड़ाई में ये पीडीए की जीत का एक अति महत्वपूर्ण चरण है।’’
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भाजपा सरकार को ये चेतावनी है कि अपनी चुनावी धांधली को जाति जनगणना से दूर रखे। एक ईमानदार जनगणना ही हर जाति को अपनी-अपनी जनसंख्या के अनुपात में अपना वो अधिकार और हक़ दिलवाएगी, जिस पर अब तक वर्चस्ववादी फन मारकर बैठे थे।’’
उन्होंने दावा किया कि यह अधिकारों के सकारात्मक लोकतांत्रिक आंदोलन का पहला चरण है और भाजपा की नकारात्मक राजनीति का अंतिम चरण है तथा भाजपा की प्रभुत्ववादी सोच का अंत होकर ही रहेगा।
यादव ने कहा, ‘‘संविधान के आगे मनविधान लंबे समय तक चल भी नहीं सकता है। यह ‘इंडिया’ की जीत है।’’
राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कहा, ‘‘मेरे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते दिल्ली में हमारी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने 1996-97 में कैबिनेट से 2001 की जनगणना में जातिगत गणना कराने का निर्णय लिया था जिस पर बाद की वाजपेयी सरकार ने अमल नहीं किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश में सर्वप्रथम जातिगत सर्वेक्षण भी हमारी 17 महीने की महागठबंधन सरकार में बिहार में ही हुआ।’’
राजद प्रमुख ने कहा, ‘‘जिसे हम समाजवादी-जैसे आरक्षण, जातिगत गणना, समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि 30 साल पहले सोचते हैं, उसका दूसरे लोग दशकों बाद अनुसरण करते हैं। जातिगत गणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला। अभी बहुत कुछ बाक़ी है। हम इन संघियों को हमारे एजेंडे पर नचाते रहेंगे।’’
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘केंद्र आगामी जनगणना में जाति डेटा को शामिल करने पर सहमत हो गया है। इसकी तत्काल आवश्यकता थी और यह कई समूहों की लंबे समय से लंबित मांग थी। मैंने भी 2021 से यही मांग की है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों की विभिन्न जातियों/समूहों सहित मुसलमानों के पिछड़ेपन पर उचित डेटा समय की मांग है।
ओवैसी ने कहा, ‘‘एनएसएसओ और अन्य डेटा स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि मुसलमान आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं। भाजपा ने दलित मुसलमानों को एससी-दर्जा देने का विरोध किया है, यह पिछड़े मुसलमानों के लिए आरक्षण का भी विरोध करती है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियां जनगणना के आंकड़ों के अनुरूप होनी चाहिए तथा सबसे पिछड़े समुदायों को शिक्षा और रोजगार में उचित हिस्सा मिलना चाहिए।
भाषा हक हक नेत्रपाल
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