scorecardresearch
Friday, 14 November, 2025
होमदेशअदाणी संबंधी सामग्री पर रोक के आदेश से सरकार उत्साहित हो गई: न्यूज़लॉन्ड्री ने अदालत को बताया

अदाणी संबंधी सामग्री पर रोक के आदेश से सरकार उत्साहित हो गई: न्यूज़लॉन्ड्री ने अदालत को बताया

Text Size:

नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) डिजिटल समाचार मंच न्यूजलॉन्ड्री ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में दलील दी कि कोई भी ऐसे लोकतंत्र में नहीं रहना चाहता जहां यह खतरा हो कि आदेश की तोड़-मरोड़कर व्याख्या की जाएगी। उसने कहा कि सरकार अदाणी एंटरप्राइजेज से संबंधित सामग्री हटाने के आदेश को लेकर “बेहद उत्साहित” हो गई।

न्यूजलॉन्ड्री और वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सचिन दत्ता के समक्ष ये दलीलें दी गईं। याचिकाओं में केंद्र के उस कथित निर्देश को चुनौती दी गई है जिसमें डिजिटल समाचार प्रकाशकों को अदाणी समूह की कंपनियों से संबंधित कई खबरों और वीडियो हटाने के लिए कहा गया था।

इस बीच, अदाणी एंटरप्राइजेज ने कहा कि वह फिलहाल न्यूजलॉन्ड्री से कोई भी नयी सामग्री हटाने का अनुरोध नहीं करेगा।

वकील ने न्यायाधीश को यह भी बताया कि पत्रकारों को सामग्री हटाने के लिए कहने वाले अधीनस्थ अदालत के आदेश पर सत्र न्यायालय ने रोक लगा दी है।

न्यूजलॉन्ड्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ किरपाल ने कहा, “केवल उन लोगों के लिए रोक लगाई गई है जिन्होंने अपील की थी। हम ‘जॉन डो’ (अज्ञात) प्रतिवादी हैं…।”

कानूनी कार्रवाई में ‘जॉन डो प्रतिवादी’ एक अज्ञात या छद्म नाम वाले प्रतिवादी को संदर्भित करता है, जिसका असली नाम या पहचान गोपनीय रखी जाती है।

उनके वकील ने कहा, “सरकार ने हमें किन प्रावधानों के तहत इसे हटाने का निर्देश दिया है? उन्हें किसने सूचित किया? 16 सितंबर को, उन्होंने (सरकार ने) कहा कि 36 घंटों में इसे हटा दिया जाएगा। सरकार (मुकदमे में) पक्ष नहीं है।”

सरकारी वकील ने कहा कि आईटी नियमों में यह स्पष्ट किया गया है कि जब अदालत का आदेश प्राप्त होता है तो उसके बारे में सूचित किया जाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा, “अपीलीय अदालत के आदेश की भी हमें जानकारी दी गई है। हमने तुरंत उन आदेशों को भी आगे भेज दिया है। मेरा काम केवल सूचना देना है। बस इतना ही।”

किरपाल ने हालांकि कहा कि न्यूजलॉन्ड्री ने अभी तक “रोक के” आदेश को चुनौती नहीं दी है।

“मैं अपीलकर्ता नहीं हूं। जिन लोगों ने अपील नहीं की, उनके लिए यह आदेश रद्द नहीं किया गया है। कोई भी ऐसे लोकतंत्र में नहीं रहना चाहता जहां यह खतरा हो कि आदेश की मनमाने तरीके से व्याख्या की जाएगी। यह आईटी दिशानिर्देशों का हिस्सा नहीं है। यह उस व्यक्ति के बारे में है जो आदेश से उत्साहित हो गया।”

अदालत ने किरपाल से पूछा कि क्या न्यूजलॉन्ड्री ने प्रतिबंध आदेश का पालन किया है, जिस पर उन्होंने कहा, “मैंने इसे हटाया नहीं है। मुझे अभी इसका पालन करना है।”

इस स्तर पर, अदाणी एंटरप्राइजेज के वकील ने कहा, “हम आगे कोई सामग्री हटाने के लिए नहीं कहेंगे। जो कुछ भी हटाने के लिए कहा गया है, वह किया जा चुका है।”

वकील ने हालांकि स्पष्ट किया कि आगे से सामग्री हटाने के लिए न कहने संबंधी दलील केवल न्यूजलॉन्ड्री के संबंध में थी, और कुमार के बारे में उनके पास कोई निर्देश नहीं है, जिन्होंने सत्र न्यायालय के समक्ष रोक संबंधी आदेश को चुनौती दी है।

न्यायाधीश 26 सितंबर को मामले की फिर सुनवाई करेंगे।

भाषा प्रशांत सुरेश अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments