नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) कांग्रेस ने सरकार द्वारा संसद के मानसून सत्र की घोषणा किए जाने के बाद बुधवार को आरोप लगाया कि सरकार पहलगाम आतंकी हमले के बाद घटनाक्रम पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाने की विपक्ष की मांग से भाग खड़ी हुई है, लेकिन उसे कठिन सवालों के जवाब देने होंगे।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि 47 दिन पहले संसद सत्र की तारीखों की घोषणा की जाए।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बुधवार को कहा कि संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति ने इन तारीखों की सिफारिश की है।
कांग्रेस महासचिव रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘आम तौर पर संसद सत्र की तारीखों की घोषणा कुछ दिन पहले की जाती है। कभी भी सत्र शुरू होने से 47 दिन पहले तारीखें घोषित नहीं की गईं।’’
उन्होंने दावा किया कि ऐसा केवल पहलगाम के निर्मम आतंकी हमले और हत्या करने वाले आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में लाने में विफलता पर चर्चा करने के लिए तत्काल विशेष सत्र बुलाने की कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों द्वारा बार-बार की जा रही मांग से बचने के लिए किया गया है।
उन्होंने कहा कि ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के प्रभाव और इसके घोर राजनीतिकरण, सिंगापुर में सीडीएस के खुलासे, भारत एवं पाकिस्तान के बीच संबंध, पाकिस्तान वायु सेना में चीन की पैठ, मध्यस्थता पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लगातार दावों और हमारी विदेश नीति तथा कूटनीतिक संपर्क की कई विफलताओं’’ पर चर्चा से सरकार बचना चाह रही है।
रमेश ने कहा, ‘‘मानसून सत्र में भी सर्वोच्च राष्ट्रीय महत्व के ये मुद्दे छाए रहेंगे। सरकार एक विशेष सत्र से भाग खड़ी हुई, लेकिन अब से छह सप्ताह बाद उन्हें बहुत कठिन सवालों का जवाब देना होगा।’’
विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के 16 घटक दलों ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद के घटनाक्रम पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद से कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे थे।
कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए ताकि सेना के शौर्य को सलाम करने और 1994 के संसद के प्रस्ताव को दोहराने के साथ ही सरकार से कुछ बिंदुओं पर सवाल किये जा सकें। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है।
तृणमूल कांग्रेस ने सुझाव दिया था कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को बताने के लिए विभिन्न देशों की यात्रा करने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के देश में लौटने के बाद जून में सत्र आयोजित किया जाना चाहिए।
बीते 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे।
भारतीय सशस्त्र बलों ने छह मई की देर रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के कई आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था।
इसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष हुआ और 10 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘संघर्षविराम’ की घोषणा की। हालांकि भारत ने स्पष्ट किया कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं थी और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) द्वारा अनुरोध किये जाने के बाद सैन्य कार्रवाई रोकी गई है।
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