मुंबई, पांच सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता छगन भुजबल ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार ने आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे की हैदराबाद गजेटियर को लागू करने की मांग को स्वीकार करके भानुमति का पिटारा खोल दिया है।
सरकार ने पिछले दिनों मराठों को आरक्षण का लाभ देने के लिए कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देने के लिए हैदराबाद गजेटियर को लागू करने की जरांगे की मांग मान ली थी।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठों को आरक्षण का विरोध कर रहे भुजबल ने आरोप लगाया कि आरक्षण पर नए सरकारी आदेश (जीआर) से ‘पात्र’ शब्द हटा दिया गया है।
सरकार द्वारा पात्र मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने सहित अधिकांश मांगों को स्वीकार करने के बाद, जरांगे ने मंगलवार को मुंबई में अपना पांच दिवसीय धरना समाप्त कर दिया था।
ओबीसी नेता भुजबल ने एक टीवी चैनल से कहा, ‘‘सरकार ने जरांगे की मांग मानकर भानुमति का पिटारा खोल दिया है। ओबीसी को उन लोगों के जाति प्रमाण पत्र पर कोई आपत्ति नहीं है जिनके दस्तावेज जमा करने के बाद राजपत्र में कुनबी रिकॉर्ड दर्ज हो जाएगा। हालांकि, नए सरकारी आदेश के अनुसार, मराठों के आवेदनों की नए सिरे से जांच की जाएगी और उन्हें जाति प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। सरकारी आदेश में बदलाव करके ‘पात्र’ शब्द हटा दिया गया है,।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम दबाव में उठाया गया है।
वरिष्ठ नेता ने पहले चेतावनी दी थी कि अगर मराठों को समायोजित करने के लिए उनके मौजूदा आरक्षण में कोई खलल डालने की कोशिश की गई, तो ओबीसी समुदाय के सदस्य बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कुछ गलत हो रहा है तो मैं चुप नहीं रह सकता। मैंने मंडल आयोग के मुद्दे पर बालासाहेब ठाकरे का साथ छोड़ दिया था। मैं लड़ता रहूंगा।’’
भुजबल ने दावा किया, ‘‘जाट, पटेल और अन्य समुदाय भी आरक्षण की मांग करेंगे। कई और राजपत्र जारी होंगे। मराठा नहीं रहेंगे, और सभी कुनबी बन जाएंगे। क्या इससे ओबीसी कोटा प्रभावित नहीं होगा?’’
भाषा वैभव पवनेश
पवनेश
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