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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशAIIMS के डॉक्टरों ने फ्लाइट में 45 मिनट की मशक्कत के बाद जिस बच्ची की जान बचाई थी, उसकी नागपुर में मौत

AIIMS के डॉक्टरों ने फ्लाइट में 45 मिनट की मशक्कत के बाद जिस बच्ची की जान बचाई थी, उसकी नागपुर में मौत

मामला 27 अगस्त का है जब कर्नाटक के बेंगलुरु से राजधानी दिल्ली आ रही विस्तारा एयरलाइंस की फ्लाइट UK-814 में घोषणा होती है कि 2 साल की बच्ची की तबीयत अचानक खराब हो गई है. बच्ची सियानोटिक बीमारी से पीड़ित है.

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नई दिल्ली: विस्तारा की फ्लाइट में जिस बच्ची की सांस अटक गई थी और दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने जान बचाई थी आज नागपुर में उसकी मौत हो गई. नागपुर के किंग्सवे अस्पताल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी दी. अस्पताल ने कहा कि डॉक्टरों द्वारा 3 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद भी बच्ची को बचाया नहीं जा सका. आज सुबह 3:15 बजे बच्ची की मृत्यु हो गई.

क्या है पूरा मामला

मामला 27 अगस्त का है जब कर्नाटक के बेंगलुरु से राजधानी दिल्ली आ रही विस्तारा एयरलाइंस की फ्लाइट UK-814 में घोषणा होती है कि 2 साल की बच्ची की तबीयत अचानक खराब हो गई थी. बच्ची सियानोटिक बीमारी से पीड़ित थी. उसका इंट्राकार्डियक के लिए ऑपरेशन किया गया था. बच्ची की तबीयत इतनी खराब हो गई कि वह बेहोश हो गई. बच्ची की बिगड़ी तबीयत देख फ्लाइट में अफरा-तफरी की हालत हो गई.

इस बीच, फ्लाइट में मौजूद दिल्ली एम्स के पांच डॉक्टर डॉ नवदीप कौर- एसआर एनेस्थीसिया, डॉ. दमनदीप सिंह- एसआर कार्डियक रेडियोलॉजी, डॉ. ऋषभ जैन- पूर्व एसआर एम्स रेडियोलॉजी, डॉ. ओइशिका- एसआर ओबीजी, डॉ. अविचला टैक्सक- एसआर कार्डियक रेडियोलॉजी ने मोर्चा संभाला और बच्ची की इलाज शुरू की. तभी इलाज के बाद बच्ची की हालत स्थिर हो गई.

45 मिनट बाद जब बच्ची होश में आई तो फ्लाइट को नागपुर ले जाकर वहां उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया.

सांस रुक गई थी हाथ-पैर पड़े थे ठंडे

दरअसल, जब डॉक्टरों को पता चला कि बच्ची की हालत बहुत बिगड़ गई तो उन्होंने तुरंत जांच की. घटना की जानकारी देते हुए एम्स दिल्ली ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “हमेशा तैयार… एम्स परिवार.”

एम्स ने आगे लिखा, “बच्चे की जांच की गई उसकी नाड़ी गायब थी, हाथ-पैर ठंडे थे, बच्ची सांस नहीं ले रही थी और उसके होंठ और उंगलियां पीले हो गए थे.”

उसे तुरंत सीपीआर दिया गया. इस दौरान फ्लाइट में ही IV कैनुला दिया गया.

एम्स ने आगे लिखा कि उस समय फ्लाइट में जो कुछ भी मौजूद था डॉक्टरों के पास उन्होंने उसका उपयोग करते हुए हर भरसक कोशिश की और आखिर में वे विजयी भी हुए.

एम्स ने एक्स पर लिखा, “ऑन एयर- टीम द्वारा कुशल कार्य और सक्रिय प्रबंधन का उपयोग करके सीमित संसाधनों के साथ तत्काल सीपीआर शुरू किया गया था. सफलतापूर्वक IV कैनुला लगाया गया, ऑरोफरीन्जियल वायुमार्ग डाला गया और बोर्ड पर निवासियों की पूरी टीम और बच्चे द्वारा एक आपातकालीन प्रतिक्रिया शुरू की गई आरओएससी यानी दिल की धड़कन और सांस आने तक वो उस बच्ची के इलाज में लगे रहे.”


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