नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि “वंदे मातरम” के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इसका पूर्ण संस्करण पूरे देश में गाया जाएगा। उन्होंने इसे राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक जागरण का आह्वान बताया।
अपनी वेबसाइट पर विचार साझा करते हुए शाह ने लिखा कि “वंदे मातरम” स्वतंत्रता का गीत है, अडिग संकल्प की भावना है और भारत के जागरण का पहला मंत्र है।
उन्होंने कहा कि यह कवि बंकिमचंद्र की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पहली घोषणा थी। उन्होंने लिखा, ‘‘इस अमर गीत के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, भारत सरकार ने सात नवंबर से शुरू होकर एक वर्ष तक देशव्यापी कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। इन समारोहों के माध्यम से, ‘वंदे मातरम्’ का पूर्ण संस्करण एक बार फिर पूरे देश में गूंजेगा और युवाओं को ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ के विचार को आत्मसात करने के लिए प्रेरित करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘वंदे मातरम् स्वतंत्रता का गीत है, अडिग संकल्प की भावना है और भारत के जागरण का पहला मंत्र है। यह पवित्र मंत्र अनंत काल तक गूंजता रहेगा और हमें अपने इतिहास, अपनी संस्कृति, अपने मूल्यों और अपनी परंपराओं को भारतीयता के दृष्टिकोण से देखने की याद दिलाता रहेगा।’’
शाह ने कहा कि भारत के इतिहास में संगीत और कला ने सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि चाहे छत्रपति शिवाजी महाराज जी की सेना के युद्धगीत हों, आजादी के आंदोलन में सेनानियों के गान या आपातकाल के विरुद्ध युवाओं के सामूहिक गीत, गीतों ने भारतीय समाज को स्वाभिमान की प्रेरणा भी दी और एकजुट भी बनाया।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा ही है भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’, जिसका इतिहास किसी युद्धभूमि से नहीं, बल्कि एक विद्वान बंकिमचंद्र चटर्जी जी के शांत लेकिन अडिग संकल्प से शुरू होता है। वर्ष 1875 में, जगद्धात्री पूजा (कार्तिक शुक्ल नवमी या अक्षय नवमी) के दिन, उन्होंने उस गीत की रचना की जो भारत की स्वतंत्रता का शाश्वत गीत बन गया।’’
शाह ने लिखा, ‘‘महात्मा गांधी ने स्वयं स्वीकार किया था कि “वंदे मातरम” में “ सबसे सुस्त रक्त को भी जगाने की जादुई शक्ति” है। इसने उदारवादियों और क्रांतिकारियों, विद्वानों और सैनिकों सभी को एकजुट किया। जैसा कि महर्षि अरबिंद ने वर्णन किया, बंकिम आधुनिक भारत के एक ऋषि थे, जिन्होंने अपने शब्दों के माध्यम से राष्ट्र की आत्मा को पुनर्जीवित किया।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘इसने हमें याद दिलाया कि भारत केवल एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं है, बल्कि एक भू-सांस्कृतिक सभ्यता है।’’
शाह ने कहा कि अपने एक पत्र में, बंकिम बाबू ने लिखा, ‘‘मुझे कोई आपत्ति नहीं है यदि मेरे सभी कार्य गंगा में बहा दिए जाएं। यह श्लोक ही अनंत काल तक जीवित रहेगा। यह एक महान गीत होगा और लोगों के हृदय को जीत लेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘केवल मातृभूमि के प्रति समर्पण से ओतप्रोत व्यक्ति ही ऐसी पंक्तियां लिख सकता है।’’
शाह ने लिखा कि ‘‘वंदे मातरम्’’ भाषा और क्षेत्र की बाधाओं से परे है और इसके लिए तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती के तमिल अनुवाद और पंजाबी क्रांतिकारियों जैसे उदाहरणों का हवाला दिया, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की अवहेलना करते हुए इसे गाया।
उन्होंने कहा कि यह पवित्र मंत्र बाद में कैलिफोर्निया में गदर पार्टी के क्रांतिकारियों, आजाद हिंद फौज के सैनिकों और 1946 के रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह में भाग लेने वालों के लिए एक नारा बन गया।
शाह ने लिखा, ‘‘ खुदीराम बोस से लेकर अशफाकउल्ला खान तक, चंद्रशेखर आजाद से लेकर तिरुपुर कुमारन तक, नारा एक ही था। यह अब सिर्फ एक गीत नहीं रहा; यह भारत की सामूहिक आत्मा की आवाज बन गया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘1905 में बंगाल विभाजन के दौरान, जब पूरे प्रांत में विद्रोह फैल गया, तो अंग्रेजों ने ‘वंदे मातरम्’ के सार्वजनिक गायन पर प्रतिबंध लगा दिया। फिर भी 14 अप्रैल 1906 को, बारीसाल में, हजारों लोगों ने आदेश की अवहेलना की। जब पुलिस ने शांतिपूर्ण भीड़ पर हमला किया, तो पुरुष और महिलाएं समान रूप से खून से लथपथ सड़कों पर खड़े होकर एक साथ ‘वंदे मातरम्’ का नारा लगा रहे थे।’’
शाह ने लिखा, ‘‘आज जब हम भारत पर्व मना रहे हैं और सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें श्रद्धापूर्वक स्मरण कर रहे हैं, तो यह भी याद करते हैं कि कैसे सरदार साहब ने ‘एक भारत’ का निर्माण कर ‘वंदे मातरम्’ की भावना को ही मूर्त रूप दिया।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘ ‘वंदे मातरम्’ आज भी विकसित भारत 2047 के हमारे संकल्प में प्रेरणा दे रहा है। अब, इस भावना को आत्मनिर्भर और श्रेष्ठ भारत में परिवर्तित करना हमारी जिम्मेदारी है।’’
‘वंदे मातरम्’ की रचना बंकिम चंद्र चटर्जी ने की थी और इसे पहली बार सात नवंबर 1875 को साहित्यिक पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में प्रकाशित किया गया था।
भाषा
देवेंद्र माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
