नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति ने बृहस्पतिवार को पहली बैठक की जिसमें अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने सदस्यों के सवालों के जवाब दिए।
बजट सत्र तक कार्यकाल बढ़ने के बाद समिति की यह पहली बैठक थी।
बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा, ‘समिति का कार्यकाल बढ़ाए जाने के बाद यह पहली बैठक थी। आज अल्पसंख्यक मंत्रालय के प्रतिनिधि आए थे जिनसे हमारे सदस्यों ने कुछ सवाल किए। पहले भी अल्पसंख्यक मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें हो चुकी थी। उन्होंने समिति के सवालों के जवाब 887 पृष्ठों में दिए हैं।’
उनके अनुसार, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से संशोधनों से जुड़े प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि राज्यों में विवादित संपत्तियों के बारे में राज्यों के मुख्य सचिवों से जवाब मांगा गया है और जरूरत पड़ने पर अधिकारियों को समिति के समक्ष बुलाया जा सकता है।
पाल ने बताया कि समिति की अगली बैठक 11 या 12 दिसंबर को बुलाए जाने की संभावना है।
लोकसभा ने गत 28 नवंबर को इस समिति का कार्यकाल अगले साल बजट सत्र के आखिरी दिन तक के लिए बढ़ाने को मंजूरी दी थी।
समिति के अध्यक्ष पाल ने वक्फ (संशोधन) विधेयक संबंधी संसद की संयुक्त समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का समय बजट सत्र, 2025 के आखिरी दिन तक बढ़ाने का प्रस्ताव सदन में पेश किया जिसे ध्वनिमत से स्वीकृति प्रदान की गई थी।
सरकार ने वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक गत आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया था जिसे सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक एवं चर्चा के बाद संयुक्त समिति को भेजने का फैसला हुआ था।
इस विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव रखा गया है, जिनमें वक्फ निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995’ करने का भी प्रावधान है।
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, विधेयक में यह तय करने की बोर्ड की शक्तियों से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को हटाने का प्रावधान है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं।
यह संशोधन विधेयक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड की व्यापक आधार वाली संरचना प्रदान करता है और ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं तथा गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
भाषा हक पवनेश नरेश
नरेश
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