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शनिवार, 24 मई, 2025
होमदेशमोरबी पुल गिरने से कुछ ही दिन पहले फर्म ने मरम्मत पर दो करोड़ रुपये खर्च करने का दावा किया था

मोरबी पुल गिरने से कुछ ही दिन पहले फर्म ने मरम्मत पर दो करोड़ रुपये खर्च करने का दावा किया था

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मोरबी (गुजरात), 31 अक्टूबर (भाषा) मोरबी नगर निगम ने शहर के ही घड़ियां और ई-बाइक बनाने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप को मच्छु नदी पर बने शताब्दी पुराने तारों से बने पुल की मरम्मत का काम सौंपा था।

नगर निगम के सोमवार को मिले दस्तावेजों के अनुसार, ओरेवा ग्रुप को 15 साल तक पुल की मरम्मत करने, उसका संचालन करने और 10 से 15 रुपये प्रति टिकट मूल्य पर टिकट बेचने की अनुमति थी।

मच्छु नदी पर बना यह पुल रविवार को टूट गया जिसमें 134 लोगों की मौत हो गई।

फर्म ने 26 अक्टूबर को दावा किया कि उसने मरम्मत कार्य में विशेषज्ञों की मदद ली है और ‘विशेषज्ञ फर्म’ की सलाह पर विशेष सामग्री का उपयोग किया गया है।

आजादी से पहले मोरबी के शासक बाघजी ठाकुर द्वारा 1887 में बनवाए गए इस केबल पुल को मरम्मत पूरी होने के बाद 26 अक्टूबर को मीडिया के सामने ओरेवा ग्रुप के जययसुख पटेल और उनके परिवार ने जनता के लिए खोल दिया।

पुल टूटने के बाद मोरबी नगर निगम के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने दावा किया कि मरम्मत करने वाली कंपनी ने पुल को जनता के लिए खोलने से पहले निगम से ‘अनुमति’ प्रमाणपत्र नहीं लिया।

जाला ने रविवार देर शाम कहा था, ‘‘मोरबी नगर निगम ने केबल पुल की मरम्मत का काम ओरेवा ग्रुप को सौंपा था। मरम्मत के कारण वह पिछले छह महीने से इस्तेमाल नहीं हो रहा था। 26 अक्टूबर को, कंपनी ने हमें सूचित किए बगैर ही उसे जनता के लिए खोल दिया। उन्होंने पुल जनता के लिए खोलने से पहले हमने कोई अनुमति प्रमाणपत्र नहीं लिया।’’

दस्तावेजों के अनुसार, मोरबी नगर निगम ने इस साल मार्च में पुल की मरम्मत और संचालन के लिए ओरेवा ग्रुप के साथ करार किया था।

करार के अनुसार, पुल की मरम्मत का सारा खर्च निजी कंपनी उठाएगी और उसे ‘उचित मरम्मत’ के बाद जनता के लिए खोला जाएगा जिसमें करीब ‘8 से 12 महीने का समय लगेगा।’’

करार के अनुसार, 15 साल तक पुल के ‘प्रबंधन’ के लिए निजी फर्म जिम्मेदार होगी जैसे कि आरे एंड एम, सुरक्षा मुहैया कराना, सफ-सफाई रखना, भुगतान वसूली और आवश्यक कर्मचारियों के विकास आदि। करार के यह 15 साल 2037 में पूरे होने हैं।

करार के मुताबिक, मोरबी नगर निगम ने मंजूरी दी थी कि कंपनी पहले साल में वयस्कों के लिए 15 रुपये और बच्चों के लिए 10 रुपये की टिकट लगा सकती है, और टिकट की राशि में हर साल दो रुपये का इलाज किया जा सकेगा।

मरम्मत के बाद पुल जब 26 अक्टूबर को जनता के लिए खोला गया तो उस वक्त ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल ने मीडिया को बताया कि उनकी कंपनी ने मरम्मत पर दो करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

भाषा अर्पणा माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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