मुंबई, 15 फरवरी (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय को मंगलवार को बताया गया कि चुनाव उद्देश्यों के लिए प्रतिनिधियों के तौर पर राज्य के अधिकारियों की नियुक्ति राज्य निर्वाचन आयोग (एसईएस) करता रहा है, क्योंकि आयोग में अधिकारियों की कमी है। साथ ही न्यायालय को यह भी बताया गया कि निगम वार्ड के परिसीमन का अंतिम फैसला आयोग ही लेगा।
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील सचिन शेटे ने न्यायमूर्ति अमजद सईद और न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि नियम के तहत चुनाव से छह माह पहले परिसीमन की अधिसूचना जारी की जानी चाहिए। अधिसूचना निगम की बाहरी सीमा से संबंधित होती है न कि आंतरिक परिवर्तन से संबंधित।
पीठ भाजपा नेता नीतेश सिंह और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नेता सागर देवरे की उस जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) की एक फरवरी को जारी उस अधिसूचना को चुनौती दी है, जिसके तहत मुंबई के वार्ड के प्रस्तावित परिसीमन पर लोगों की सलाह और आपत्तियां मंगाई गयी थी।
मुंबई में फिलहाल 227 वार्ड हैं, जिन्हें आगामी बीएमसी चुनाव के लिए बढ़ाकर 236 किया जाना है।
याचिकाकर्ताओं की दलील है कि बीएमसी के प्रमुख आई. एस. चहल ने अधिसूचना जारी की है, लेकिन वह ऐसा करने के लिए अधिकृत हैं ही नहीं।
शेटे ने कहा, ‘‘एसईसी में कर्मचारियों का अभाव है, इसलिए शुरू से ही यह राज्य के अधिकारियों को जरूरी शक्तियां सौंप देता है। एसईसी में 80 कर्मचारी होने चाहिएं, लेकिन यहां फिलहाल केवल 57 कर्मचारी ही हैं।’’
पीठ ने कहा कि वह इस मामले में 17 फरवरी को अपना आदेश जारी करेगी।
भाषा सुरेश पवनेश
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