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Sunday, 22 December, 2024
होमदेश‘एक घर का सपना कभी ना छूटे’ : कवि प्रदीप की पंक्तियों का SC के फैसले में किया गया उल्लेख

‘एक घर का सपना कभी ना छूटे’ : कवि प्रदीप की पंक्तियों का SC के फैसले में किया गया उल्लेख

न्यायालय ने कहा कि हर व्यक्ति और परिवार एक घर का सपना देखता है. पीठ ने कहा, ‘एक घर हर परिवार या व्यक्तियों की स्थिरता व सुरक्षा की सामूहिक उम्मीदों का प्रतीक होता है.’

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी आर गवई ने यह रेखांकित करने के लिए प्रसिद्ध कवि प्रदीप की इन पंक्तियों का बुधवार को उल्लेख किया कि हर किसी की इच्छा होती है कि उसका अपना घर हो और वह नहीं चाहता कि यह सपना कभी छूटे.

संपत्तियों को ढहाने पर देशभर के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए, 95 पन्नों के फैसले की शुरूआत न्यायमूर्ति गवई ने कवि की इन पंक्तियों से की, ‘‘अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है, इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी ना छूटे.’’

पीठ ने कहा, ‘‘प्रसिद्ध कवि प्रदीप ने आशियाना के महत्व का वर्णन इस तरह किया है.’’

न्यायमूर्ति गवई ने पीठ के लिए फैसला लिखा. पीठ में न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन भी शामिल हैं.

न्यायालय ने कहा कि हर व्यक्ति और परिवार एक घर का सपना देखता है. पीठ ने कहा, ‘‘एक घर हर परिवार या व्यक्तियों की स्थिरता व सुरक्षा की सामूहिक उम्मीदों का प्रतीक होता है.’’

पीठ ने कहा कि एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या प्राधिकारियों को किसी अपराध के आरोपी व्यक्ति को दंडित करने के उपाय के रूप में उसके परिवार का आश्रय छीनने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं.

पीठ ने कहा कि आश्रय का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) के पहलुओं में से एक है.

देश भर के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करते हुए, न्यायालय ने कहा कि कारण बताओ नोटिस दिए बिना किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाए और प्रभावितों को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए.

‘बुलडोजर न्याय’ पर सख्त रुख अपनाते हुए पीठ ने कहा कि प्राधिकारी न्यायाधीश का काम नहीं कर सकते, किसी आरोपी को दोषी करार नहीं दे सकते और उसके घर को ध्वस्त नहीं कर सकते.

न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति विश्वनाथन की पीठ ने कहा, ‘‘यदि प्राधिकारी मनमाने तरीके से किसी नागरिक के घर को सिर्फ इस आधार पर ध्वस्त करते हैं कि वह एक अपराध में आरोपी है, तो वह कानून के शासन के सिद्धांतों के विपरीत काम करता है.’’

न्यायालय ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति का घर केवल इसलिए गिरा दिए जाता है कि वह आरोपी है या फिर दोषी है तो यह ‘‘पूरी तरह से असंवैधानिक’’ होगा.

न्यायमूर्ति गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कार्यपालिका, न्यायपालिका के मूल कार्य को पूरा करने में उसकी जगह नहीं ले सकती.

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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