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Saturday, 29 March, 2025
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अदालत ने जेल में बंद सांसद रशीद की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया

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नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में जेल में बंद जम्मू-कश्मीर के सांसद अब्दुल रशीद शेख की उस याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें उन्होंने ‘‘हिरासत में रहते हुए’’ संसद सत्र में भाग लेने के लिए यात्रा खर्च वहन करने की शर्त से छूट प्रदान करने का अनुरोध किया है।

मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष मामले का तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख किये जाने पर पीठ ने कहा कि अगर आवेदन दायर किया गया है तो शुक्रवार को स्वतः सूचीबद्ध होगा।

अधिवक्ता ने कहा कि रशीद यात्रा और अन्य व्यवस्थाओं के लिए सभी खर्च वहन करने की शर्त को हटाने का अनुरोध कर रहे हैं, न कि जेल अधिकारियों द्वारा दी जाने वाली राशि में कटौती की मांग कर रहे हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘आप आवेदन दाखिल करें और सुनवाई के लिए यह कल स्वतः सूचीबद्ध होगा। हमने स्पष्ट कर दिया है और इससे अधिक स्पष्ट नहीं किया जा सकता।’’

रशीद ने अपने आवेदन में कहा कि उन्हें संसद में उपस्थित होने की अनुमति देने वाला आदेश 26 मार्च को अपराह्न में अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था और शाम को उनके वकील को जेल अधिकारियों से एक ईमेल मिला कि उन्हें यात्रा और संबंधित व्यवस्थाओं के लिए प्रतिदिन लगभग 1.45 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। याचिका में कहा गया कि इस तरह छह दिन के लिए कुल 8.74 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।

उन्होंने कहा कि आवेदक की वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं है जो कि इस ‘‘अत्यधिक’’ खर्च को वहन कर सके और वह (संसद) अपने संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने जा रहे हैं और इसे इतनी उच्च लागत से बाधित नहीं किया जाना चाहिए।

उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 25 मार्च को बारामूला के सांसद को चार अप्रैल तक ‘‘हिरासत में रहते हुए’’ संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति दी थी और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की इस आशंका को खारिज कर दिया था कि वह भाग सकते हैं।

न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने महानिदेशक (कारागार) को निर्देश दिया कि 26 मार्च से चार अप्रैल के बीच लोकसभा सत्र के दिनों में रशीद को सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी जेल से संसद तक ले जाएंगे।

पीठ ने कहा कि बारामूला के सांसद को संसद सुरक्षा के कर्मियों या मार्शलों की हिरासत में सौंप दिया जाएगा, जो उन्हें कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति देंगे और वह वहां अन्य सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।

पीठ ने 25 मार्च के आदेश में कहा कि जेल से बाहर रहने के दौरान रशीद को मोबाइल फोन या लैंडलाइन का इस्तेमाल करने या मीडिया से बातचीत करने की इजाजत नहीं होगी।

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हराने वाले रशीद 2017 के आतंकवादी वित्त-पोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं। उन्होंने 10 मार्च के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत उन्हें लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए चार अप्रैल तक ‘‘कस्टडी पैरोल’’ या अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हराने वाले रशीद 2017 के आतंकवादी वित्त-पोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

भाषा

खारी पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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